परम पुनीत, नीक, देह बगिया के बीच,
जोबन को ब्रिच्छ, कन - कन रस भीनों है|
ता पर की नेह डार, पल्लव सु प्रीत पुंज,
कुंज छाँह लटन की, आनंद नवीनों है|
लगन की डोर पुस्ट, भनें 'कविदास' जा में,
दृगन के फंद, पाट - हृदय कों कीनों है|
झूलन पधारो अब, बेगि प्रान प्यारे तुम,
रति सों रंगाय, ऐसो - झूला डार लीनों है||
3 टिप्पणियाँ
झूलन पधारो अब, बेगि प्रान प्यारे तुम,
जवाब देंहटाएंरति सों रंगाय, ऐसो - झूला डार लीनों है||
भूले बिसरे गीत से लगते हैं अब छंद।
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छा छन्द...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.