प्यारे बच्चों,
"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "फुलवारी" के अंतर्गत शिवचरण चौहान अंकल की कविता "मेरे साथी रोबो प्यारे" पढवा रहे हैं। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।
- साहित्य शिल्पी
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मेरे साथी रोबो प्यारे
बस्ते से कापियां निकालो,
मेरे संग में कैरम खेलो,
शाम हुर्इ छत पर आ जाओ।
शिवचरण चौहान, कानपुर (उ0प्र0)
2 टिप्पणियाँ
शाम हुर्इ छत पर आ जाओ।
जवाब देंहटाएंआसमान पर नजर टिकाओ,
मुझे जगाना तब, जब गिन लो
आसमान में कितने तारे।
मेरे साथी रोबो प्यारे।
सुन्दर है।
वाह बहुत मजेदार और नवीनता लिये हुए
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.