दफ्तर से घर वापसी के समय
हड़बड़ी के बावजूद ,
महानगर की कीचड भरी सड़कों से
अनुमान हुआ
सावन के बरसने का ,
बस की प्रतीक्षा करते हुए
शेड के तीन से टपकती हुई बूंदों ने भी चुगली खाई
सावन के बरसने की
पेड़ की दाल पर बैठी पंख सुखाती चिड़िया ने भी
चहक कर बताया सावन के बरसने के बारे में
महानगर की उमस और बिजली के लम्बे कट ने तो
प्रमाण ही दे दिया ,
सावन के बरसने का ,
तमाम टी वी चैनेल्लों ने भी
घोषणा की सावन के बरसने की
यूँ वातानुकूलित दफ्तर की खिडकियों पर लगे
मोटे मोटे रेशमी पर्दों के पीछे
कब बरस गया सावन ,
पता ही न चला
हमने सावन पड़ा
अखबार के मुख्यपृष्ट पर
हमने सावन देखा टी वी स्क्रीन पर
हमने सावन महसूस किया
उमस और बिजली कट में .
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मीनाक्षी जिजीविषा
८९२, सेक्टर १०, हौसिंग बोर्ड फरीदाबाद
2 टिप्पणियाँ
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंकब बरस गया सावन ,
जवाब देंहटाएंपता ही न चला ....achchhee kavita.
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