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फिर से इक बम फटा [कविता] - डॉ. अमिता कौंडल


फिर से इक बम फटा,
फिर कुछ चिथड़े उड़े
फिर से रोई मानवता,
और फिर से आतंकी हंसा
कुछ बच्चे फिर से अनाथ हुए,
तो कुछ के फिर सुहाग लुटे
कुछ की उझडी कोखें ,
तो कुछ बापों ने अर्थी ढोई
फिर से इक चर्चा चली,
और बन गई इक कमेटी
फिर से नेतायों ने दिए ब्यान
और पुलिस ने दावे किये
पर फिर क्या ?
कुछ दिन में
सब शांत हो जायेगा
और
फिर से होगा
इक और धमाका
कुछ जन और मर जायेंगे
चलेगा फिर सिलसिला
ब्यान वाजी का,
दावे वाजी का
पर कब तक?
आखिर कब तक?
हम इन सिलसिलों में
घूमते रहेंगे ?
शासन और प्रशासन के पाटों में
यूँही पिसते रहेंगे ?
कब हम जागेगें ?
शासन और प्रशासन से
और अपने अंतरात्म से
इन मौतों का, धमाको का
सारा हिसाब मांगेंगे ?

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4 टिप्पणियाँ

  1. jab bhi kuchh hota hai aapki lekhni bolti hai sada se hi aesa raha hai aapko badhai
    sahi kaha amita ji akhir kab tak
    शासन और प्रशासन से
    और अपने अंतरात्म से
    इन मौतों का, धमाको का
    सारा हिसाब मांगेंगे ?
    samayik kavita
    bahut bahut badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  2. मिता कौण्दल ने समसामयिक विषय पर बहुत अच्छी कविता रची है ।कोई नेता इन धमाकों का शिकार नहीं हो सकता , क्योंकि वह तो अंग रक्षकों के बीच चूहे की तरह दुबका रहता है । जो खुद कमज़ोर और कायर है , वह किसी की क्या रक्षा करेगा" अब तो आम आदमी ही सॉफ़्ट टारगेट है , उसे ही कमर कसनी होगी । साथ ही उन मुखौटाधारी मानव अधिकार आयोग वालों से भी पूछना पड़ेगा कि एक आतंकीवादी को पकड़कर मारने पर तुम लोग चिल्लाते हो और आम आदमी भीड़ की भीड़ भी मर जाए तो दो बूँद आँसू भी नहीं गिराते हो । इस नौटंकी में आतंकवाद फन फैलाए जा रहा है और ये तथाकथित मानववादी दानवता का पोषण कर रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. आप सभी को कविता पसंद आयी इसके लिए हार्दिक धन्यवाद रामेश्वर भाईसाहब आपने सही लिखा है भीड़ की भीड़ मर जाती है पर कोई कुछ नहीं करता. ऐसा लगता है आदमी की जान की कोई कीमत नहीं है........और अब तो हम भारतीयों को भी लगता है इन धमाकों की आदत हो गई है. हमने इन्हें अपना भाग्य समझ लिया है और पानी बिजली की प्रॉब्लम के साथ इस से भी समझौता कर लिया है. जरूरत है हर जन को जागरूक होने की. यह धमाके तभी रुकेंगे जब हर व्यक्ति सतर्क होगा.
    सादर,
    अमिता कौंडल

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ दिन में
    सब शांत हो जायेगा
    और
    फिर से होगा
    इक और धमाका
    कुछ जन और मर जायेंगे
    चलेगा फिर सिलसिला

    वास्तव में यही सिलसिला चलता रहता है...वस्तुस्थिति को बहुत अच्छे से explain किया है...बधाई

    जवाब देंहटाएं

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