बाकी न तेरी याद की परछाइयां रहीं
बस मेरी ज़िंदगी में ये तन्हाइयां रहीं.
डोली तो मेरे ख़्वाब की उठ्ठी नहीं, मगर
यादों में गूंजती हुई शहनाइयां रहीं.
बचपन तो छोड़ आए थे, लेकिन हमारे साथ
ता- उम्र खेलती हुई अमराइयां रहीं.
चाहत, ख़ुलूस, प्यार के रिश्ते बदल गए
जज़बात में न आज वो गहराइयां रहीं.
अच्छे थे जो भी लोग वो बाक़ी नहीं रहे
‘देवी’ जहां में अब कहां अच्छाइयां रहीं.
2 टिप्पणियाँ
अच्छे थे जो भी लोग वो बाक़ी नहीं रहे
जवाब देंहटाएं‘देवी’ जहां में अब कहां अच्छाइयां रहीं. achachhee gajal
अच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.