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पर्वों का पर्याय हिंद है [नव-गीत] - नवीन सी. चतुर्वेदी


अगर ज़िंदगी काया है तो
उपटन हैं त्यौहार
शाश्वत जीवन दर्शन का
अवगाहन हैं त्यौहार

विकल ह्रदय में संबल जागे
थका बदन भी सरपट भागे
कैसा भी हो कोई निठल्ला
त्यौहारों में 'हिल्ले' लागे
निज रूचि के अनुसार सभी को
देते हैं रुजगार
इसीलिये तो कहते हैं
दुःख-भंजन हैं त्यौहार

चौखट पर जब आते उत्सव
खुशियों को बरसाते उत्सव
नारी और गृहस्थी का
औचित्य-सार समझाते उत्सव
जीवन की खुशहाली का
हैं यही सही आधार
जगतीतल में रिश्तों का
अभिनन्दन हैं त्यौहार

इनसे ही जीवन में रति है
संस्कार- सौहार्द सुमति है
इनके बिना स्थूल है जीवन
ये हैं तो जीवन में गति है
इनकी महिमा अद्भुत, अनुपम,
अविचल, अपरम्पार
प्रगति पंथ परिवृद्धि हेतु
प्रोत्साहन हैं त्यौहार

धर्मों का संकाय हिंद है
तत्वों का अभिप्राय हिंद है
सुविचारों का प्रथम प्रणेता
पर्वों का पर्याय हिंद है
विश्व गुरु का मान तभी तो
देता है संसार
मानव में मौज़ूद ईश का
वंदन हैं त्यौहार


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