बापू तुम फिर से आओ
अहिंसा के पुजारी
कहलाये तुम
और सत्य को
बना लाठी बापू,
स्वतन्त्रता संग्राम
चलाया था तुमने
पर जानते हो बापू,
उसी स्वतन्त्र भारत में
आज,
सत्यनिष्ठा पराधीन हुई
और भ्रष्टाचार आज़ाद है
पथ पथ पर हिंसा है
बापू,
आगजनी उत्पात है
इक लंगोटी
और लाठी में
तुम कितने संतुष्ट थे
बापू,
पर अथाह सम्पति
पाने पर भी मानव
कितना लोभी है
आज,
दो अक्टूबर को
तुम्हे याद कर,
राष्ट्र पिता तुम्हे
मान कर,
हम केवल धर्म निभाते हैं
पर हर कदम पे
अवहेलना कर
तुम्हारी शिक्षाओं की,
हम चोट तुम्हे पहुंचाते हैं
बापू तुम फिर से आओ
मानव को सत्य, अहिंसा,
देशप्रेम का पाठ पढाने,
विश्व में व्यापत उग्रवाद को
जड़ से मिटाने,
बापू तुम फिर से आओl
4 टिप्पणियाँ
मौजूदा हालात के लिए बिल्कुल सार्थक कविता है...बधाई|
जवाब देंहटाएंबापू तुम फिर से आओ
जवाब देंहटाएंमानव को सत्य, अहिंसा,
देशप्रेम का पाठ पढाने,
विश्व में व्यापत उग्रवाद को
जड़ से मिटाने,
बापू तुम फिर से आओl
kash aesa hojaye amita ji samy ke anukul uttam kavita
rachana
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआप सबको कविता पसंद आयी इसके लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसादर,
अमिता कौंडल
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.