
तेज हुई तलवार से, अधिक कलम की धार.
धार सलिल की देखिये, हाथ थाम पतवार..
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तार रहे पुरखे- भले, मध्य न कोई तार.
तार-तम्यता बनी है, सतत तार-बे-तार..
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हर आकार -प्रकार में, है वह निर-आकार.
देखें हर व्यापार में, वही मिला साकार..
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चित कर विजयी हो हँसा, मल्ल जीत कर दाँव.
चित हरि-चरणों में लगा, तरा मिली हरि छाँव..
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लगा-लगा चक्कर गिरे, चक्कर खाकर आप.
बन घनचक्कर भागते, समझ पुण्य को पाप..
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बाँहों में आकाश भर, सजन मिले आ काश.
खिलें चाह की राह में, शत-शत पुष्प पलाश..
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धो-खा पर धोखा न खा, सदा सजग रह मीत.
डगमग डग मग पर रहें, कर मंजिल से प्रीत..
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खा ले व्यंजन गप्प से, बेपर गप्प न छोड़.
तोड़ नहीं वादा 'सलिल', ले सब जग से होड़..
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करो कामना काम ना, किंचित बिगड़े आज.
कोशिश के सर पर रहे, लग्न-परिश्रम ताज..
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वेणु अधर में क्यों रहे, अधर-अधर लें थाम.
तन-मन की समिधा करे, प्राण यज्ञ अविराम..
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सज न, सजन को सजा दे, सजा न पायें यार.
बरबस बरस न बरसने, दें दिलवर पर प्यार..
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कली छोड़कर फूल से, करता भँवरा प्रीत.
देख बे-कली कली की, बे-अकली ताज मीत..
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी, मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
2 टिप्पणियाँ
अच्छे दोहे...बधाई
जवाब देंहटाएंSabhi Dohe shabnami tazagi mein nahaye hue bahut kuch seekhne ki lalak utpan karne mein saksham hai.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.