वो ही चला मिटाने नामो-निशाँ हमारा
जो आज तक रहा था जाने-जहाँ हमारा
दुशमन से जा मिला है अब बागबाँ हमारा
सैयाद बन गया है लो राज़दाँ हमारा
ज़ालिम के ज़ुल्म का भी किससे गिला करें हम
कोई तो एक आकर सुनता बयाँ हमारा
हर बार क्यों नज़र है बर्क़े-तपाँ की उसपर
हर बार है निशाना क्यों आशियाँ हमारा
दुश्मन का भी भरोसा जिसने कभी न तोड़ा
बस उस यकीं पे चलता है कारवाँ हमारा
बहरों की महफ़िलों में हम चीख़ कर करें क्या
चिल्लाना-चीख़ना सब है रायगाँ हमारा
परकैंच वो परिंदे हसरत से कह रहे हैं
‘देवी’ नहीं रहा अब ये आसमां हमारा
7 टिप्पणियाँ
सब माया है ...सब कुछ माया है....
जवाब देंहटाएंवैसे अच्छी रचना है....दिळ के भाव झलकते है...
अच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंACHCHHEE GAZAL KE LIYE DEVI JI KO BADHAAEE.
जवाब देंहटाएंदुश्मन का भी भरोसा जिसने कभी न तोड़ा
जवाब देंहटाएंबस उस यकीं पे चलता है कारवाँ हमारा
अच्छी ग़ज़ल
बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
मुम्बई
Aap sabhi ka Tahoe dil se Aabhaar
जवाब देंहटाएंज़ालिम के ज़ुल्म का भी किससे गिला करें हम
जवाब देंहटाएंकोई तो एक आकर सुनता बयाँ हमारा..
वाह वाह
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