रंगो खुश्बू फालतू, आबो हवा बेकार है
चाराग़र हो बेइमां तो हर दवा बेकार है
मोमिनों में आजकल ये बहस भी चलने लगी
ये खुदा बेकार है या वो खुदा बेकार है
लट्ठ के आगे लॅंगोटी खुल गई तो क्या कहें
मुद्दई बेकार है या मुद्दआ बेकार है
हम अज़़ल से जी रहे हैं तीरग़ी के खौफ में
बोलिये मत हाल ये इस मर्तबा बेकार है
आप हों बेध्यान ग़र और जल गई हों रोटियॉं
तो कहो आराम से बस, ये तवा बेकार है
जिन उसूलों की किताबों ने पलट दीं सल्तनत
आजकल हैं फ़ालतू, ग़ो हर सफ़ा बेकार है
2 टिप्पणियाँ
bahut sundar, kya likhte hain. samsamyik events par jabardast likha h. Ramdev ji ki langoti to aisi khuli ki salvar pahanani pad gai.
जवाब देंहटाएंBahut achhi gazal..............
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.