बहे बासन्ती बयार, मन हुआ बेक़रार ,
छूटे रंगों की फुहार घर अंगना
फागुन आज गली मेरे आना !!
अलियों की करे पहुनाई
कलियों ने करी चतुराई
घूँघट पट खोल भरमाना
फागुन आज गली मेरे आना !!
फूटी डाली-डाली अरुणाई
शाखों पातों की तरुनाई
कोयलिया का रह-रह शरमाना
फागुन आज गली मेरे आना !!
बाजे ढोलक-झांझ मंजीरा
गावे राग बसंत फकीरा
फाग गाकर मन को लुभाना
फागुन आज गली मेरे आना !!
5 टिप्पणियाँ
होली की हार्दिक शुभकामना। बहुत सुन्दर होली गीत।
जवाब देंहटाएंबाजे ढोलक-झांझ मंजीरा
जवाब देंहटाएंगावे राग बसंत फकीरा
फाग गाकर मन को लुभाना
फागुन आज गली मेरे आना !!
बधाई शकुंतला जी अच्छा गीत है। होली की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनिधि अग्रवाल जी,नितेश जी, रितु रंजन जी आप सबका आभार आपने होली गीत पसंद किया .
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.