HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

संपादकीय - अंक २१ मई, २०१२

साहित्य शिल्पी का चौथा अंक आपके सामने हैं। हम आप सब पाठकों के आभारी हैं कि आपने साहित्य शिल्पी को नये रूप में पसंद किया है। पहले जहां इस पत्रिका को लगभग 700 से 1000 के बीच हिट प्रतिदिन मिलते थे, आजकल यह संख्यां 1500 प्रतिदिन से ऊपर जा पहुंची है। हालांकि हम किसी भी तरह की टीआरपी के हिमायती नहीं हैं, और न ही उसके लिए काम ही कर रहे हैं, फिर भी ये संख्या इस बात का संकेत तो है ही कि अब अधिक पाठक प्रतिदिन हमारी पत्रिका देख ओर पढ़ रहे हैं, बेशक प्रतिक्रियाएं अभी बहुत ही सीमित संख्या में मिल रही हैं।

आपको मंटो अंक बहुत पसंद आया, हमारी मेहनत सफल हुई।


हम इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि सभी पुराने अंक आपको पीडीएफ के रूप में मिल सकें। इस अंक में विरासत में दुष्यंत जी की ग़ज़लें, देस परदेस में पोलिश कहानी नन्हां संगीतकार है जो हमारे विशेष अनुरोध पर चर्चित अनुवादक अनुराधा जी ने हमें उपलब्ध करायी है। वे भविष्य में भी हमें विश्व साहित्य की झलक दिखलाती रहेंगी। भाषा सेतु में बस्तर की मूल हलबी बोली के लाला जगदलपुरी के दोहे और उनका हिंदी अनुवाद है, कहानी में नीना पॉल हैं, अपनी रचना प्रक्रिया पर हमारे लिए खास तौर पर प्रेमचंद गांधी ने लिखा है, तो व्यंग्य की धार इस बार संभाली है वरिष्ठ लेखिका सूर्यबाला जी ने। आओ धूप में एक और नयी कवयित्री रितु रंजन हैं तो कविता में नीलम अंशु जी हैं। विश्वास है, ये अंक भी आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।

सूरजप्रकाश
mail@surajprakash.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...