
"नहीं बेटे रिश्वत खाना अच्छी बात नहीं है" मिरांडा ने बेटे को समझाना चाहा|
"नहीं डेड मैं तो सीखूंगा रिश्वत खाना| सब लोग खाते हैं न,कितना मजा आता है| कल ही मोनू के पापा पकड़े गये थे रिश्वत खाते, कितना मजा आ रहा था| उनके घर के सामने बहुत सारी भीड़ थी, पुलिस की तीन तीन गाड़ियां खड़ी थीं|मोनू भी चहक रहा था और अपने दोस्तों को बता रहा था कि उसके पापा रिश्वत खाते पकड़े गये हैं|"
"नहीं बेटे रिश्वत खाना अच्छी बात नहीं है, अच्छे बच्चे यह गंदा काम नहीं करते, वे चाकलेट खाते हैं|"
" तो फिर बड़ा होकर मैं भी रिश्वत खा सकता हूं न? अभी से सीखूंगा तभी तो ट्रैन्ड हो पाऊंगा, खूब खाऊंगा बड़े होकर|"
"नहीं बड़े होकर भी नहीं|रिश्व त खाना अच्छी बात नहीं है|यह भ्रष्ट काम बेईमान और बदनाम लोग करते हैं|"
" नहीं मैं तो खाऊंगा, जब तक आप नहीं सिखायेंगे मैं स्कूल नहीं जाऊंगा|" टोनी मचलकर जिद करने लगा| मिरांडा ने क्रोध से उसके गाल पर चांटा जड़ दिया|
" चड्डी में नाड़ा बाँधना तक तो आता नहीं रिश्वत खाना सीखेंगे|" मिरांडा ओंठो में बुदबुदाया|
टोनी रोता हुआ अपनी मां मिरांडा के पास चला गया|" मुझे रिश्वत खाना है माम पापा नहीं सिखाते" वह जोर जोर से रोने लगा|
मेरिना चौंक गई|यह कैसी बेकार की ख्वाहिश है टॊनी की,कहां से सीखा यह बातें? उसका भेजा खराब हो गया|
"बेटे गुड ब्वाय लोग रिश्वत नहीं खाते,आ प गुड ब्वाय हैं कि नहीं? यू आर ए वेरी गुड ब्वाय, है न|" उसने उसे बहलाने की कोशिश की|
"क्यों माम रिश्वत खाना बुरी बात है क्या?" टॊनी ने मासूमियत से मां की ओर निहारा|
" हां बेटे यह बहुत खराब काम है, इससे समाज और देश को नुकसान होता है|" टॊनी मिरांडा के चांटे की चोट से अभी तक सिसक रहा था|
रात का समय मिरांडा और मेरिना डायनिंग टेबिल पर बैठे खाना खा रहे हैं| मिरांडा आज बहुत प्रसन्न नज़र आ रहा है। "क्या बात है आज बहुत खुश हो"मेरिना ने पूछा|
"हां आज का दिन बहुत अच्छा निकला मिस्टर नंदी वाला काम निपटा दिया|बड़ी मुश्किल से माना साला,कितना दबाव डलवाया ऊपर से ताकि मुफ्त में काम हो जाये|वह नहीं जानता था की आखिर मिरांडा भी कोई चीज है, दे गया एक लाख रुपये, तुम्हारे बेड रूम की अलमारी में रख दिये हैं| यह कहकर वह अपनी ही पीठ अपने ही हाथों थपथपाने लगा|
मेरिना की आंखें चमक उठीं|एक लाख का नाम सुनकर ही उसके चेहरे पर खुशियों के फूल खिल उठे|वह मिरांडा की आंखों में आंखें डालकर बोली "अच्छे बच्चे रिश्वत नहीं खाते" और ठहाका मारकर हँसने लगी| मिरांडा ने भी उसके ठहाके में अपना ठहाका जोड़ दिया|कमरे में ठहाके ही ठहाके गूंजने लगे|
टॊनी अपने बेड रूम में लेटे लेटे डेड और माम की बातें समझने की कोशिश करने लगा,"रिश्वत खाना अच्छी बात है या खराब बात|
4 टिप्पणियाँ
लघुकथा के साथ साथ रचना में प्रस्तुत कविता पोस्टर पसंद आया
जवाब देंहटाएंThanks for comments
जवाब देंहटाएंPrabhudayal
sach baata to yah hai ki bachchon ko imaanadari sikhane waale ma bap rishvat ke mamale me kitane besharam hain
जवाब देंहटाएंPrabhudayal
हमारे दोहरे जीवन मूल्यों पर एक सशक्त प्रहार करता व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.