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[मैंने पढ़ी किताब] - लव इन दि टाइम ऑफ कोलेरा


लव इन दि टाइम ऑफ कोलेरा    [समीक्षा - सरिता शर्मा] 

मैंने हाल ही में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित गेब्रियल गार्सिया मार्केज का उपन्यास ‘लव इन दि टाइम ऑफ कोलेरा’ पढा जिसे पेंगुइन ने प्रकाशित किया है। यह दुखद है कि अनेक विदेशी भाषाओँ में अनुवाद हो जाने और इस पार चर्चित फिल्म बन जाने के बावजूद इसे अभी तक हिंदी में अनुवाद नहीं लिया गया है। अभी इसमें स्त्री-पुरुष के बीच प्रेम की नयी और एपिक संभावनाओं को तलाश करने की कोशिश की गयी है। इसे अविस्मरणीय पात्रों के माध्यम से अनूठी  किस्सागोई और कलात्मक और काल्पनिक लेखन की शैली ‘जादुई यथार्थवाद‘ का प्रयोग करके लिखा है जिसमें असली किरदारों की कहानी में जादुई तत्व मिला दिए गए हैं और काल्पनिक घटनाक्रम का चित्रण वास्तविक लगता है।मार्केज को  बिल क्लिंटन ने ‘किसी भी भाषा का सर्वश्रेष्ठ लेखक‘ बताया है और ल्योसा के अनुसार ‘पहले से चली आ रही भाषा मार्केज के संस्पर्श से जादुई हो जाती है।’

लव इन दि टाइम ऑफ कोलेरा नायक टेलीफ़ोन ओपरेटर फ्लोरेंतिनो एरीजा और कुलीन नायिका फरमीना डाजा के उत्कट प्रेम को दर्शाती है जो बढती उम्र और विपथनों के बावजूद बना रहता है। फरमीना डाजा के के पिता उन्हें अलग कर देते हैं।फरमीनो आर्थिक सुरक्षा और समाज में अपनी हैसियत सुधरने  के लिए डॉक्टर अर्बिनो से शादी कर लेती है। डॉक्टर अर्बिनो हैजा के उन्मूलन में जुटा हुआ है।किताब की शरुआत में अर्बिनो के फोटोग्राफर दोस्त द्वारा आत्महत्या कर लेने पर अपनी मौत के बारे में भी सोचने लगता है।कुछ देर बाद ही डॉक्टर अपने तोते को आम के पेड़ से उतरने कि कोशिश में स्टूल से गिर जाता है और उसकी भी मृत्यु  हो जाती है। फरमीना डाजा से बिछुडे हुए ५३ साल बीत जाने के बावजूद फ्लोरेंतिनो उसे पाने में सफल हो जाता है। अंत में दोनों प्रेमी नदी पर अनंत यात्रा पर निकल पड़ते हैं और उपन्यास इसी सन्देश के साथ खत्म होता है कि मौत नहीं बल्कि प्रेम ही सबसे महत्वपूर्ण है जिसका कोई अंत नहीं होता।

लव इन दि टाइम ऑफ कोलेरा में मृत्यु,विनाश और बुढ़ापे पर बहुत विस्तृत और गहन विचार किया गया है। डॉक्टर अर्बिनो के अनुसार सेंट अमूर द्वारा आत्महत्या करने का कारण बूढा हो जाने  का भय है।वह महसूस करता है कि उसकी याददाश्स्त कमजोर होती जा रही है।उपन्यास में हम पात्रों को पहले युवा और जीवंत देखते हैं जो अंत में वृद्ध और अशक्त हो जाते हैं।फ्लोरेंतिनो गंजापन खत्म करने कि कोशिश करता है।फरमीना  के बच्चों को इस बात पार ऐतराज है कि उनकी माँ बुढ़ापे में प्रेम सम्बन्ध बनाये।उसका बेटा फ्लोरेंतिनो को कहता है कि दुनिया बूढ़े लोगों से छुटकारा पा ले तो बेहतर होगा क्योंकि वे अधिक उनत्ति कर सकेंगे। शहर भी तबाह हो रहा है। अर्बिनो सोचता है’उसका शहर समय के छोर पर बिना बदले हुए खड़ा है।जहाँ पिछले चार दशक से धीरे धीरे बुढ़ापा  और दलदल बढ़ गया है।ऐसा लगता है शहर अंतहीन सिविर युद्ध में मौत कि तरफ अग्रसर हो रहा है।रोमांस और मृत्यु कि थीम को आपस में मिला दिया गया गया है। मौत अनेक मार्गों से आती हैजैसे हैजे से ,युद्ध से, आत्महत्या और बदला लेने के कारण। मृत लोगों और पशुओं के शव नदी में और उसके किनारे दिखाई देते हैं।कीचड से मछारों का झुण्ड उठता है।मौत दुखद और निरर्थक है। 
       
 उपन्यास में मार्केज बार बार प्रेम की थीम की तरफ लौटते हैं और मानते हैं कि जीवन व्यवस्था या अधिकार की बजाय जूनून से नियंत्रित होता है। प्यार समाज के नियमों का उल्लंघन है मगर समाज के हर वर्ग में लगभग सभी लोग मान्य या अवैध प्रेम संबंधों में लिप्त दिखाए गए हैं व्यावहारिक बूढी वाले डॉटर अर्बिनो भी इसके अपवाद नहीं हैं। प्यार जीवन को सरस और सार्थक बनाता है।लेखक हर प्रकार के प्रेम का उत्सव मनाता है और किसी भी स्वरुप के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं है।वेश्यालय को ‘प्यार का संग्रहालय ‘ कहा गया है जहाँ आनेवाले लोग अपनी वस्तुएं छोड़ जाते हैं। फर्मिना अपने विवाहित जीवन में खुश नहीं है मगर चाहती है कि उसका पति मर जाये तो जन पायेगा कि वह उसे कितना प्रेम करती थी।वह जिंदगी की नयी शुरुआत के बारे में भी सोचती है।फ्लोरेंतिनी और उर्बिनो के लिए अवैध सम्बन्ध ऊब और बढती उम्र को परास्त करने का साधन है । इस उपन्यास में प्रेम के विभिन्न स्वरूपों को समझने की कोशिश की गयी है और उसके आदर्श तथा विकृत दोनों पहलुओं को उभारा गया है। यह प्रेम कहानी एक साथ भव्य,गंभीर और व्यग्यात्मक है।फ्लोरेंतिनो फूल खाकर उलटी कर देता है।अंतिम अध्याय में अध्यात्मिक प्लेग का जिक्र भी इसकी पुष्टि करता है।फ्लोरेंतिनो की ड्रेस और अत्यधिक भावुकता पिछली सदी के रोमांस की याद दिलाती है जो हास्यास्पद हो चुका है।कारोबार के पत्रों को भी वह  काव्यात्मक बना देता है। इसके विपरीत अर्बिनो और दाजा का दाम्पत्य प्रेम अनेक कमियों के बावजूद सामंजस्य स्थापित कर लेता है। फ्लोरेंतिनो के ६०० से ज्यादा औरतों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करता है और उन्हें कई खण्डों में रिकॉर्ड भी करता है।वह पढ़े हुए रोमंसों जैसा जीवन जीना चाहता है।वह फरमिना को लगातार प्रेम पत्र लिखकर प्रेम पत्र लिखने में सिद्धहस्त हो जाता है। फिर वह औरों के लिए भी प्रेम पत्र लिखने लगता है।।फ्लोरेंतिनो फर्मिना के प्रति अनेक सबंधों के बावजूद वफादार रहता है।पुस्तक के अंत में वृद्ध प्रेमियों का मिलन मार्मिक रुमानियत रहित है।यह सच्चा प्रेम है जिसमें अथाह शांति और स्वीकार्यता है।’ऐसा लगा वे वैवाहिक जीवन  के कठिन दौर से सीधे प्रेम के ह्रदय में दाखिल हो गए हों।वे दोनों ‘न्यू फिडालटी’ नौका पार बठकर अपनी निजता को बनाये रखने के लिए हैजे के प्रतीक पीले झंडे को लगाकर नदी पर अंतहीन यात्रा पर निकल पड़ते हैं।इस तरह बीमारी और बुढ़ापे के बदले प्रेम को विजयी दिखाया गया है।

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