विरासत में ‘उषा
प्रियंवदा’ की कहानी ‘वापसी’
गजाधर बाबू ने कमरे में जमा
सामान पर एक नज़र दौड़ाई -- दो बक्से, डोलची, बालटी --
''यह
डिब्बा कैसा है, गनेशी?'' उन्होंने पूछा।
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देस परदेस
में ‘मक्सिम गोर्की’ का ‘एक पाठक’ [अनुवाद- अनिल जनविजय]
रात काफी हो गया थी जब मैं उस घर से विदा हुआ जहाँ मित्रों की एक
गोष्ठी में अपनी प्रकाशित कहानियों में से एक का मैंने अभी पाठ किया था।
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‘फ़ैज़ अहमद
फ़ैज़ की नज़्म’ - ‘मुझसे पहली
सी मुहब्बत’
मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब ना माँग
मैंने समझा था के तू है तो दरख़्शां है हयात
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भाषा सेतु
में ‘सच्चिदानंद राउतराय’ की कहानी ‘जंगल’
इस जंगल का कोई ख़ास नाम नहीं। पूरा इलाका ही करमल कहलाता है। फिर भी
स्थानीय लोग पास वाले हिस्से को बेरेणा-लता कहते हैं।
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राजकुमार
साहू का व्यंग्य 'पानी रे पानी'
निश्चित ही पानी अनमोल है।
यह बात पहले मुझे कागजों में ही अच्छी लगती थी, अब समझ भी आ रहा है। गर्मी में पानी, सोने से भी महंगा हो गया है-----।
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महेश
चन्द्र पुनेठा की कवितायें
पिछले दो-तीन दिन से
बेटा
नहीं कर रहा सीधी मुँह बात।
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मैंने पढ़ी किताब में ‘हरनोट’ के कहानी संग्रह ‘जीनकाठी
तथा अन्य कहानियाँ’ पर विमर्श
एस. आर. हरनोट उन कतिपय कहानीकारों में हैं, जो शहर में जीवनयापन करते हुए भी अपने जीवन के स्त्रोतस्थल को नहीं भूले हैं। -----।
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‘सूरजप्रकाश’
का आलेख 'प्रेम – ओशो की
निगाह में'
प्रेम चमक की कौंध है, अपने स्व को पहचानने
की महक है, अपने खुद के होने का अहसास है। प्रेम सीमाएं तोड़
कर छलकती प्रसन्नता है।
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विमलेश त्रिपाठी की कहानी "चिन्दी-चिन्दी कथा"
[मैं आपसे ही मिलने आया हूँ। --- उसके स्वर में दृढ़ता है । वह दरवाजा खोलकर दाखिल हो चुका है कमरे में। “ ”
इतने दिन बाद कौन आया है, इस अधिकार और साहस के साथ।
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आओ धूप में
शरद चन्द्र गौड की कवितायें
कल कल करता मेरा पानी
वींणा की
मधुर झंकार सुनाता
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1 टिप्पणियाँ
अच्छी प्रस्तुति...बधाई
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