विरासत में फणीश्वरनाथ रेणु' की कहानी ‘मारे
गये गुलफाम'
हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है। पिछले बीस साल से गाड़ी
हाँकता है हीरामन। सीमा के उस पार, मोरंग राज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है।
----------
देस-परदेस में ‘लू शुन’ की
‘आखिरी बातचीत’
पिताजी बहुत मुश्किल से ही साँस ले पा रहे थे । यहाँ तक कि उनकी सीने
की धड़कन भी मुझे सुनाई नहीं दे रही थी।
----------
‘दिविक रमेश’ की कहानी ‘सुरजा’
भरपाई पैंतीस से ज्यादा क्या होगी। लगती जरूर
पैंतालीस की है। लेकिन भरपाई जानती है कि वह पैंतीस से दो चार दिन नीचे भले ही हो, ऊपर एक घड़ी भी नहीं है।
----------
'मैने पढी
किताब' में 'एन इक्वल
म्यूजिक'
विक्रम सेठ को उनके पहले पद्यात्मक उपन्यास 'द गोल्डन गेट' के बाद ‘ए सूटेबल
ब्वॉय' से
विश्वभर में ख्याति मिली जिसे लिखने में आठ साल लग गये।
----------
भाषा सेतु में "गुरुदेव
रवीन्द्रनाथ" की रचना "जहाँ चित्त भय से शून्य हो"
जहां चित्त
भय से शून्य हो
जहां हम गर्व से माथा ऊंचा करके चल सकें।
----------
अदम गोंडवी
की ग़ज़लें
जो
डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे
कमीशन दो
तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे।
----------
‘विजेन्द्र' की ‘पेंटिंग’ और उसपर उनकी
कविता ‘ध्वस्त घर’
एक दिन
जैसे ही
मुझे बुलडोजर नें ढहाया
----------
‘त्रिजुगी
कौशिक’ की कविता ‘हाट बाजार’
रैयमति/ सिर
पर टोकरी रखे
गोद में
बच्चा बाँधे/ आती है
हाट।
----------
'डॉ. वेद
व्यथित' का व्यंग्य "संभावना है"
भीषण
गर्मी पड़ रही थी न बिजली न पानी, लोग सडकों
पर जाम लगा रहे थे क्यों कि वे और तो कुछ कर भी नही सकते थे।
----------
'संजीव निगम' की लघुकथा 'दे गाली'
सचिवालय
तक जाने वाली सड़क पर ऑफिस जाने वाले लोग पिछले कुछ समय से बड़े परेशान थे। कुछ
दिनों से एक अजीब किस्म का.....।
----------
इस अंक की ई-पुस्तक – “विपिन चौधरी की कवितायें”
ई-पुस्तक
“विपिन चौधरी की कवितायें” को डाउनलोड करने के लिये कृपया नीचे दिये गये लिंक पर
जायें।
----------
0 टिप्पणियाँ
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.