रिश्तों की डोरी
भाई की कलाई पे
बहने बांधे
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रेशमी धागा
आत्मीयता सहेज
रिश्तों में बंधा
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बाबुल चौरे
अनुराग डोरी ले
बहना आई
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भाई की आँखें
भीगी भीगी सी
रक्षा पर्व पे
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परदेस में
भीगी भाई की आँखे
रक्षा पर्व पे
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प्रचंड धूप
घनी छाँव सा लगे
भाई का प्यार
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कलाई पर
भाई के बांधा एक
रक्षा का सूत
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राखी की मौली
पूजा थाली में लेके
बहनें आयीं
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राखी पर्व पे
धागों के दीप जले
मन है बाती
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बहने हैं होती
अनुभूति से भरी
मिश्री -मिठास
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शुभ- मुस्कान
रिश्ते की घनी छाँव
रक्षाबंधन
6 टिप्पणियाँ
प्यारे-प्यारे भावों से भरे छोटे-छोटे हाइकू सचमुच बहुत ही अच्छे हैं.... आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
जवाब देंहटाएंजापानी हाइकू में लय बद्धता है उसका आभाव, रचना में भाव प्रवणता होते हुए भी खटक रहा है...रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हाइकु ...
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के उपलक्ष में बहुत सुन्दर हाइकु रचे हैं आपने बधाई एवं शुभकामनाये सरस्वती जी
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना..
जवाब देंहटाएंलयबद्धता के साथ साथ पूर्णत भावपूर्ण हाइकु हैं- रक्षा बंधन पर बहुत- बहुत बधाई डॉ सरस्वती माथुर को !
जवाब देंहटाएंराजलक्ष्मी
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.