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अर्चना पैन्यूली का ‘यात्रा वृतान्त’ – ‘बहुत सारे द्वीप एक शहर’


बारह मई़ सन् 2010। समय सुबह साढ़े पांच बजे का। कोपनहेगन सेन्ट्रल स्टेशन पर हम एक एक करके इकठ्ठा हो रह़े एर्क्सजे 2000 ट्रेन स्टोक्होम के लिये पकड़ने के लिये। जैर्सेजैसे बच्चे पहुंच रहे हैं एर्कदूसरे को ‘हाय़’ ‘हैलो’ बोल रहे हैं। साथियों के गले लग रहे हैं। हथेली से हथेली मिला कर चीयर्स कर रहे थे। 

‘हाय कीगन…’ ‘हाय अमालिया…’ ‘हाय अजय…’ की आवाजें। 

मातापिता़ जो अपने बच्चों को स्टेशन छोड़ने आये है़ अपने बच्चों को गले लगा कर चूम कऱ ‘हेव ए गुड ट्रीप़’ कहकर विदा ले रहे हैं। कुछ मातायें मुझसे कह रही हैं कि मैं उनके बच्चों को उनके दोस्त या सहेली के साथ ही कमरे में रखूं। फलरंफलां के साथ उन्हें मत रखना। एक पाकिस्तानी मां मेरे पास आकर चिन्तित स्वर में बोलने लग़ी "पहली बार आयशा को घर से बाहर अकेली भेज रही हॅ़ू सिर्फ आपकी वजह से। आप हमारा कल्चर समझती है…। अपने साथ ही सुलाना उसे…।" 

"सिर्फ आयशा ही नहीं सभी बच्चे मेरी जिम्मेदारी ह़ै" मैंने उन्हें कहा़ "आप चिन्ता मत करिये। किसी का कल्चर चाहे कोई भी हो वहां केवल स्कूल का कल्चर चलेगा।"

वातावरण में एक उल्लास़ एक उमंग़ एक जोश। मैं नवी कक्षा की क्लासटीचऱ जिसने अपनी कक्षा के बच्चों के लिये इस सालाना यात्रा का प्रबन्ध किया है।  मेरे मन में धुकधुकी है। चौबीस किशोर्रअवस्था के बच्चों को चार दिन की ट्रिप में बाहर ले जाना कोई मजाक नहीं है। चौबीस बच्चों की जिम्मेवारी व पचास हजार डेनिश क्रोनर का संचालन मेरे हाथों में है। सौभाग्य से मेरे सहकर्ता एन्डरियाज मेरे साथ हैं मेरी मदद के लिये।

कुछ क्षणों बाद एर्क्सजे 2000 प्लेटफाम पर लगी।  बच्चों ने चीत्कार भरी। एक हुड़दंग सा मचाते हुये बच्चे ट्रेन पर सवार हो गये। विन्डोसीट़ अपने दोस्त या सहेली के साथ बैठने के लिये कसमकस होने लगी। कुछों को अपनी मनपसन्द सीट नहीं मिली तो उनका मुंह बन गया। खैर पांच मिनट ट्रेन प्लेटफाम पर ठहर कर चल पड़ी। जो कुछ सीटें बच्चों को मिली या उन्होंने हथियाय़ी बच्चे उनपर बैठ गये। ताश के पत्ते खुल गये। कुछ बच्चों के कानों में आईपोड लग गये  तो कुछ मोबाईल फोन पर इलेक्ट्रोनिक खेल खेलने लगे। कुछ बातूनी बच्चे अपनी बगल में बैठे साथी के साथ बातों में मशगूल हो गये…। मैंने और एन्डरियाज ने जब देखा कि सभी बच्चे अपर्नीअपनी सीटों पर व्यवस्थित हो गये तो हम भी इत्मीनान की सांस भरते हुये बैठ गये। अपर्नेअपने बैग से अपना स्नैक निकाल कर खाने लगे। एन्डरियाज ने अपनी आरेन्ज जूस की ठंडी बोतल खोली और मैंने गर्म चाय का थर्मश।

चाय के थर्मश से गरर्मगरम भाप उढ़ते देख एन्डरियाज बोल़े "तुमने अच्छा किया कि वार्म ड्रिंक लायी हो।"

ट्रेन स्टेशन छोड़़ शहर से बाहर निकल़ शहर के सरहद पर रेंगने लगी। हर्रेभरे विस्तीर्ण दृश्य… समुद्री रेखायें। सुदूर ऑफसोर ह्यतटीयहृ विन्ड पार्क दृष्टिगौचर होने लगा। समुद्र से उठते विन्डमील के पहिये । बच्चे विन्ड पावर के पहियों को गिनने लगेः एक दो तीन…। 

‘मैने अठारह गिऩे’ एक बोला।

‘मैने बाइस गिऩे’ दूसरा बोला। डेनमार्क विन्डपावर में एक प्रभुत्व जमाने वाला देशों में गिना जाता है। विन्ड पावर डेनामार्क में 19।7त् ऊर्जा व 24।1त् क्षमता प्रदान करती है। 

कई हर्रेभरे दृश्य पार करते हुय़े संकर्रेचोड़े राहों व लंबे पुलों से गुजरते हुये सवा पांच घंटे में ट्रेन कोपनहेगन से स्टोक्होम़ एक देश की राजधानी से दूसरे देश की राजधानी पहुंच गई। स्केन्डिनेवियन के हृदय से निकल कर स्वीडन का एक बड़ा क्षेत्रफल पार करते हुये हम उत्तरी यूरोप के गेर्टवे में पहुंच गये।  हमारा होस्टल स्टोरा न्यूगेटल़ गामले स्टेन ह्यओल्ड टाऊनहृ में ह़ै सेन्ट्रल स्टेशन से पन्द्रह मिनट की दूरी पर। हममे से कई स्टोक्होम पहली बार आये हैं। इस शहर की खूबसूरती व निरभ्रता ने एकदम से हमें आकर्षित किया। एन्डरियाज यहां दूसरी बार आये हैं। उन्होंने मुझे रास्त़े ट्रेन में बता दिया था कि पहली बार वे स्वीडन तैंतीस साल पहले 1976 में अपनी पूर्व पत्नी के साथ आये थे। तब वे पच्चीस साल के जवां मर्द थे। चारों तरफ निहारते हुये वे आश्चर्य से बुदबुदाय़े "कितना बदल गया यह शहर…"  

हम सभी के हाथों में स्टोक्होम सिटी मेप हैं। दो छात़्र जेम्स और सायमन सिटी मेप पढ़ते हुय़े हमारा मार्गदशन करते हुये हमें गली स्टारा न्युगेटल ले गय़े जहां हमारा आर्चीपिलोगी नामक होस्टल खड़ा है। कोई विलासी निवास नह़ीं अति साधारण मगर सार्फसुथरा होस्टल। मैने अपनी बैग से लिस्ट निकाली जो पहले से ही तैयार की हुई थी। "कीगऩ पेडरम़ डेविड और गोर्म रूमनंबर 26 ए… ऐलीऩ मानस़ी अमान्डा़ जोसफीन रूमनंबर 24… अजय़ मोरटऩ सायमऩ जहानजेब रूमनंबर 28 बी …" की घोषणा मैंने शुरू की। बच्चे अपर्नाअपना सामान उठा कर अपर्नेअपने कमरों की तरफ बढ़ने लगे।

हार्थमुंह धोकऱ थोड़ा तरोताजा होकर हम शहर की बाट के लिये निकल गये। हमने गामले स्टेन ह्य ओल्ड टाऊनहृ की सड़र्केगलियां घूमी। कुंगलिगा स्लोटटर्  राजसी किला देखा। चार बजे से हमारा एक बोट ट्रिप़ ‘अन्डर द ब्रिजस’ बुक है।  पौने चार बजे तक हम स्ट्रॉमकेयन फैरी पाँवट पर पहुंच गये। वहॉ तैयार खड़ी नौका पर हम सवार हुये। जलयात्रा से हम स्टोक्होम घूमने लगे। चौदह द्वीपों से बना स्टोक्होम़ आर्चीपीलागो तट़ जहां झील मेलेरेन बाल्टिक सागर से मिलती ह़ै पर बसा है। छोर्टेबड़े तिरेपन पुल विभिन्न द्वीपों को आपस में जोड़ते हैं। एक तरह से पानी पर शहर टिका है।  

मैंने बच्चों पर नजर डालीर्  सभी बच्चे बेहद खुश नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपर्नेअपने समूह बना लिये हैं। ऐशियन व अफ्रीकन बच्चेर्  अजय़ उमाऱ पेडरम़ जहानजेब व डीलनर्  का एक समूह। नतालिया़ मार्था़ लियोपोल्ड व रोडरिगो… ये बच्चे पूर्वी यूरोपीय यानि पोलण्ड़ इटली व स्पेन के हैं। ये हमेशा आपस एक साथ रहते हैं। नातसुमी जपान की है। वह सभी से कट़ी अलर्गथलग रहती है। बाकी क्लास के बच्चें गोरे अमेरिकन व यूरोपीयन हैं। इनका अपना एक अलग ही दल रहता है।
  
मैंने देखा कि बीतिना सायमन से सटी बैठ़ी उसके कन्धे पर उसने अपना सिर धंसा लिया है। दोनों का बढ़ता कद़ विकसित होता शरीऱ चेहरों से झांकता कैशोर…। एन्डरियाज ने भी उन्हें इस मुद्रा में बैठे देखा। मुझसे कहने लगा़ "बीतिना इज रियेली ग्ररोइंग अप।"  बच्चे उस अवस्था में हैं जहां वे विपरित लिंग के प्रति आकर्षित होने लगे हैं। पश्चिमी समाज भी खुला है। मगर ये प्रेम प्रदर्शन करते हमें गोरे बच्चे ही नजर आते ह़ैं ऐशियन या अफ्र्रीकन बच्चे नहीं।

मैं सहसा उठी। बीतिना के पास जाकर धीरे मगर आदेशात्मक स्वर में बोल़ी "सीधे बैठो।"

अगर्लबगल बैठे सभी बच्चों ने सहमति जताई। अजय खित्त से हंस पड़ा। जब मैं मुड़ कर अपनी जगह वापस आने लगी तो पीछे से उसे अपने साथियों से कहते सुना़ "आई डोन्ट डेट।" 

बहरहाल एक के बाद एक़ पन्द्रह पुलों के नीचे व झील मेलेरेन व बाल्टिक सागर के दो जलपाशों से नौका गुजरी। स्टोक्होम की इतिहासिक इमारतें व अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थानों का हमने अवलोकन किया। गाइड ने उन सभी की महत्ता बताई।

छः बजे के करीब बोट टूर समाप्त हुआ। अब तक हम सभी काफी थक चुके हैं। सुबह के पांच बजे के हम घर से निकले हैं। हम स्टोरा न्यूगेटल़ अपने हॉस्टल की गली लौट आये। अपने हॉस्टल के सामने स्थित एक रेस्टोरेन्ट कैफे क्राउन में हमारे डिनर की बुकिंग है। बच्चे जो बोट टूर के बाद थके से लग रहे थ़े खाना देख कर फिर चहक गये। कैफे क्राउन को उन्होंने जीवन्त कर दिया। बैरे उनकी चहचहाक व ऊर्जा देख कर मुस्कुरा रहे है उन्हें हैरत से देख रहे हैं। मुझसे पूछने लग़े "क्या अमेरिका से आये हो?"

"नहीं डेनमार्क स़े" मैंने जवाब दिया।

"डेनमार्कर्  डेन्स। तो बच्चे अंग्रेजी क्यों बोल रहे हैं?"

"हम इन्टरनेशनल स्कूल से हैं। चौबीस बच्चे सत्रह देशों से हैंर्  फिलीपीनर्  चाईना़ नाईजीरिया़ आयरलैण्ड़  अमेरिका़ इंडिया़ जापान ।"

"ओ… वेरी इन्टरनेशनश।"

"यस वेरी ग्लोबल।"
     
दूसरे दिन सुबह दस बजे हम नाश्ता करक़े द्वीप स्कैप्पशोलमन पर बना ‘द मार्डन आर्ट म्यूजियम’ के लिये निकल गये। दो छात़्र जहानजेब और थॉमस हमारे मार्गदर्शक बने। सिटी मेप देखर्तेपढ़र्तेसमझते हुये वे हमें ‘द मार्डन आर्ट म्यूजियम’ ले सये। आर्चीपिलोगी होस्टल से लगभग बीस मीनट का पैदल रास्ता। धन्यवाद टेक्नोलॉजी का। उसकी कृपा से सभी  संगहालयों व अन्य दर्शनीय स्थानों  की बुकिंक पहले से ही हो रखी है। फोऩ फैक्स और इन्टरनेट ने  जीवन को सरल बना ही दिया ह़ै मगर स्वीडिश लोगों की तत्परता व संचार्रव्यवस्था की भी मैं दाद देती हॅू। मेरी हर ईमेल़ हर प्रश्ऩ पूछताश का तुरन्त जवाब देना। वे आज के युग में बिजनेस करना जानते हैं ताकि पर्यटकों को ज्यादा से ज्यदा सहूलियत मिले। जैसे ही हम ‘द मार्डन आर्ट म्यूजियम’ पहुंचे तो पाया रिसेप्सन पर एक गाइड ऐनीली रासमुसन खड़ी हमारा इन्तजार कर रही है।

"होरसोम इन्टरनेशन स्कूल डेनमार्क?"

"यस।" 

"24  स्टुडेन्ट्स एंड टू एडल्ट्स?"

"यस।"

"वेलकॉम टू स्टोक्होम।"

ऐनीली रासमुसन ने हमे म्यूजियम का टूर दिया। स्वीडश व अन्तरराष्ट्रीय कलाकारों के आधुनिक व समकालीन कला के नमूनों का एक बृहत संग्रह देखने व समझने को मिला। चित्रकाऱी  मुर्तिकारी व फोटाग्राफी कला का यह म्यूजियम मुझे बहुत खास नहीं मगर बहुत ही अच्छे ढ़ग से नियोजित लगा। डाल़ी वारहोल़ डचेम्प़ मेटीसे व पिकासों आदि कलाकारों की कला के अदभुत नमूने देखने को मिले। यहां की केन्टीन मे हम सभी ने सेन्डविच खाये। मैने व एन्डरियाज ने चार्यकाफी पी। बच्चों ने आईसक्रीम व केक खाया। 

द मार्डन आर्ट म्यूजियम का टृर खत्म कर बाहर निकले। कुछ मिनटों की दूरी तय कर सेन्ट्रल स्टोक्होम में ब्लासीहोल्मन पैनीसियुला में बना नेशनल म्यूजियम गये। मध्ययुग से लेकर 1900 तक के पोर्सिलेन वस्तुय़ें रंगचित्रक़ मुर्तिया़ं प्रतिमायें एवंम आधुनिक कला का एक प्रभावशाली समन्वय। एन्डरियाज आर्ट के टीचर हैं तो उन्हें ये कलायें मुझसे अधिक समझ में आ रही हैं। नेशनल म्यूजियम का टूर पूरा करके हमने बच्चों को थोड़ा फ्री टाइम दिया कि वे इस द्वीप में घूम ल़े  कुछ खापी ले। छः बजे हमें नेशनल म्यूजियम के बाहर मिले। सुरक्षित माहौल़ रात ग्यारह़ साढ़े ग्यारह बजे तक उजाला… बच्चों को अकेले छोड़ने में कोई भय नहीं। यूरोपियन लोगों में एक बात विशेष यह भी होती है कि वे समय के पांबद होते हैं। बच्चे कहीं भी दिये समय से दर्सपन्द्रह मिनट पहले ही पहुंच जाते हैं। कई स्थानों पर ऐसा भी हुआ कि बच्चे किसी नियत किये स्थान पर हमसे पहले पहुंच गये और मेरा व एन्डरियाज का इन्तजार कर रहे। खैर नेशलन म्यूजियम के बाहर इकठ्ठा होकर हम अपनी गली स्टोरा न्यूगेटल लौट आये। गली हमें अब चिरपरिचित लगने लगी है। उसके आसपास के लोग जार्नेपहचाने। आज फिर कैफे क्राउन में हमने डिनर खाया। फिर अपने अपने कमरों में सिमट गये।

तीसरे रोज सुबह नौ बजे हम दर्जुगार्डन द्वीप के लिये निकले। इस बार मैने दो लड़किय़ों डोमीनिका व अमान्डा को राह दिखाने को कहा। सीटी मेप थामे दोनों लड़कियां गामले स्टेन की गलियां से निकल़ स्ट्रोमबरोन पुल पार कर समुद्र के किनार्रेकिनारे स्ट्रेन्डवॉगन सड़क की तरफ बढ़ गई़ पीर्छेपीछे हम। पच्चीस मिनट का रास्ता़ बीच में हमें तीन पुल पार करने पड़े। सबसे पहले हम इस द्वीप में स्टोक्होम का मशहूऱ समुद्र के किनारे खड़ा एक नाव के आकार का म्यूजियमर्  वासा म्यूजियम  गये। सन् 1626 से 1628 का बना राजसी जलयान वासा हमने देखा। हमारी गाइड ने हमें बताया कि स्वीडन  के राजा गुस्तावर्ससेकण्ड एडोलफस के सेना अभियान को बाल्टिक सागर में संबल प्रदान करने के लिये इसका निर्माण हुआ था। दुर्भाग्य से वासा अपनी पहली समुद्रीयात्रा में ही स्टोक्होम बन्दरगाह से बाहर निकलते ही डूब गया। 333 वर्षो बाद इसे गहरे समुद्र से बाहर निकाला गया। इसे साफ किया गया। इसकी मरम्मत की गयी। ओर अब यह जलयान संग्रालय में विश्राम कर रहा है। सत्रवीं शदाब्दी का एकमात्र जीवित शिप। दुनिया भर के लाखों सैलानियों के लिये एक जबरदस्त आकर्षण। वासा तीन मंजिलों समान लंबा है। हमने हर मंजिल से इसे निहारा। एक इतिहास बंया करता अति भव्य पोत़ शानदार लकड़ी की नक्कासी। हरेक आकृति का एक विशेष महत्व। जितने भी संग्राहलयें हमने स्टोक्होम में देख़े सबसे जबरदस्त हम सभी को यही लगा।

वासा म्यूजियम से निकल कर हमने दर्जुगार्डन द्वीप की एक लंबी सैर की। हर्रेभरे पेड़़ ताजी हवा़ लगा स्वर्ग यही है। तीन बजे हम इस द्वीप में बने स्टाक्ेहोम टीवोली अम्यूजमेन्ट पार्क गये। तीन सौ स्वीडिश क्रोनर के एक टिकट में सारी राइड्स फ्री और साथ में सत्रर क्रोनर के फूड कूपन्स। बच्चे यहां आपनी पूरी स्फूर्ति में आ गये। सभी झूलों में वे खूब झूले। मैंने व एन्डरियाज ने भी कुछ झूलों का आनन्द लिया।  

हरेक रात सोने जाने से पहले मैं कमरों का निरीक्षण करती कि सभी लड़र्केलड़कियां अपर्नेअपने कमरों में है कि नहीं। बिस्तरों पर सोने के लिये चढ़ गये कि नहीं। कहीं कुछ अनुप्युक्त कार्य में संलग्न तो नहीं। यह मुझे मालूम है कि मेरी क्लास के दो बच्चे धूमपान करते हैं और चौदर्हपन्द्रह साल की उम्र से सेक्स में संलग्न हो जाना इन मुल्कों में कोई आश्चर्य की बात नहीं। हालांकि कोपनहेगन से चलने से पहले स्कूल में मैंने सभी बच्चों को हिदायत देदी थी कि वे अपने मातापिता के साथ अपने घरों में कुछ भी करते हो। मगर अब वे चार रोज के लिये मेरे साथ हैं। मेरे व एन्डरियाज के निर्देशों का वे सख्ती से पालन करेगें। नो स्मोकिंग़ नो अल्कोहल एंड नो…।   

अम्यूजमेन्ट पार्क से रात दस बजे तक हम होस्टल लौटे तो बच्चे मुझसे अनुरोध करने लगे कि यह उनकी यहां आखिरी रात है। उन्हें कमरों में अपने सहेलियरेंदोस्तों के साथ कुछ अतिरिक्त समय बिताने के लिये मौका दिया जाये। बच्चों को रात दस बजे तक सोने के निर्देश हैं। मैंने सोचा कि ऐसी यात्रायें बच्चों को सोसियल भी बनाती है। मैं देख रही हॅू मानसी व नातसुमी जो क्लास में अलर्गथलग़ गुमसम सी रहती ह़ैं अब खुलने लगी हैं। अपनी क्लास के बच्चों के साथ घुलर्नेमिलने लगी हैं। जहानजेब व थॉमस जो क्लास में लड़ते रहते ह़ैं यहां पक्के दोस्त बन गये हैं। 

खैर एन्डरियाज और मैं भी आपस में काफी खुल गये हैं। स्कूल में बस हमारी स्कूल से सम्बन्धित औपचारिक बातें ही होती हैं। यहां आकर मुझे एन्डरियाज की निजी जिन्दगी में झांकने का मौका मिला। तीन दफा उन्होंने शादी क़ी दो बार एक ही औरत से। पहली बीवी उन्हीं की तरह न्यूजीलेण्ड की थी। उससे उनके चार वयस्क बच्चे हैं। दूसरी पत्नी डेनिश़ उन्हें चालीस वर्ष की अवस्था में आष्ट्रेलिया में मिली थी। उसके साथ उनकी खुद की तो कोई संतान नहीं मगर उसके पूर्व पति से जन्में दो बच्चों की परवरिस करने का एन्डरियाज दावा करते हैं। पूछने पर एन्डरियाज हमेशा अपने को छः बच्चों का बाप बताते हैं। बहरहाल दूसरी पत्नी के  साथ भी सात साल काट कर उनका तलाक हो गया था। मगर पांच वर्षो बाद उसी से पुनः विवाह किया। तब तक वह़ यानी नीना आष्ट्रेलिया छोड़ अपने मुल्क डेनमार्क आकर बस गई थी। एन्डरियाज भी डेनमार्क आकर उसके साथ रहने लगे। पिछले पांच सालों से एन्डरियाज डेनमार्क में रह रहे हैं और मेरी तरह होरसोल्म इन्टरनेशनल स्कूल में पढ़ा रहे हैं। 

मैंने महसूस किया कि एन्डरियाज अपनी पूर्व पत्नी को भूले नहीं हैं। सुबह ही किसी फॉम पर तारीख लिखते हुये बोले थ़े "ओह चौदह मई… आज मेरी एर्क्सवाइफ का जन्मदिन है। आज वह साठ की हो रही है…"

"क्या वह आपसे बड़ी थी?"

"हां दो साल के करीब।"

सुबह एन्डरियाज अपनी पूर्व पत्नी के जन्मदिन की बात कर रहे थे और शाम को होस्टल लौटते वक्त अपनी   वर्तमान पत्नी के जन्मदिन की। गामले स्टेन में अम्बर की दुकानों पर नजर फिराते बोल़े "बीस मई को नीना का जन्मदिन है। सोच रहा हॅू कि स्टोक्होम से उसके लिये कुछ ले जाऊं।"

"एन्डरियाज़ कैसे इतने सारे रिश्ते संभालते हो? एर्क्सवाइफ़ करर्न्टवाइफ़ ऑन चिल्डरऩ स्टैप चिन्डरन…" मैंने अकस्मात पूछा।

"इट इज डीफिकल्ट़"  वे एक लंबी सांस छोड़ते हुये बोले। 

एन्डरियाज भी मेरी व्यक्तिगत जिन्दगी टटोल रहे हैं। मैं उनसे बोल़ी "मेरी जिन्दगी तो बड़ी सपाट ह़ै एन्डरियाज… एक पत़ि दो बच्चे…। न कोई ‘एक्स’ न कोई ‘स्टैप’ ।"

"इट इज गुड … पर कैसे सारी जिन्दगी एक के साथ काट लेते हो?"

"इट इज डीफिकल्ट़ "  मैं बोली। 

एन्डरियसज खिलखिला कर हंस पड़ेर्  एक निश्चल हंसी।
      
मैंने बहलहाल बच्चों को रात बारह बजे तक की इजाजत देदी। एन्डरियाज मेरी इस अनुमति से खुश नहीं हुये। कहने लगे कि होस्टल के नियमोंनुसार रात दस बजे बाद कोई र्होहल्ला नहीं होना चाहिये। मैं बोली कि बच्चों ने मुझसे वादा किया है कि वे हल्ला नहीं मचायेगें। होस्टल में रह रहें अन्य लोगों को डिस्टर्ब  नहीं करेगें। फिर मैं रिसेप्सन हॉल में बैठ कर बच्चों पर नजर रखूगीं। वे चिन्ता न कऱें बल्कि अपने कमरे में आराम से सो जाये। एन्डरियाज अपने कमरे में सोने चले गये। मैं रिसेप्सन हॉल में सोफे पर बैठ गई। वहां रखे इन्टरनेट पर छानबीन करने लगी। रर्हरह कर कॉरीडॉर में जाकर बच्चों के कमरों में भी झांकती कि कहीं कुछ…।

करीब रात ग्यारह बजे तीन कार्लीकलूटी अफ्रीकन औरते होस्टल में घुसी। मुझे रिसेप्सन हॉल में बैठे देख मेरे पास ठिठक गई। मैंने उन्हें अपने बारे में बतायाः " टीचर हॅू। डेनमार्क से आयी हॅू अपने स्कूल के बच्चों के साथ शहर भ्रमण के लिये। यहां बैठे उनकी चौकसी कर रही हॅू।"

" किस उम्र के बच्चे हैं?" उनमें से एक ने पूछा। "

"चौदर्हपन्द्रह साल के। "

"मेरी लड़की भी पन्द्रह की है। वाकई टीनएजरों पर विश्वास नहीं कर सकते कि क्या गुल खिला दे।"

उन्होंने भी बताया कि वे युगान्डा में एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। स्टोक्होम एक वर्क शॉप में शामील होने आयी हैं। वे मेरे साथ ही सोफो पर बैठ गई। हम परस्पर बतियाने लगे। वो अफ्रीकन मैं एशियन…। दिल हमारे आसानी से मिल गये। कई तरह की बातें हमारे बीच हुई। उनके साथ बतियाने में अर्च्छाखासा समय कट गया और बारह बज गये। बच्चों ने जैसा वादा किया था़ ठीक बारह बजे वे एर्कदूसरे को गुड नाइट कहते हुये अलर्गअलग कमरों से बाहर निकले। कुछों ने रिसेप्सन पर आकर मुझे थैंक्यू यू व गुड नाइट कहा़ कुछों ने इसकी जरूरत नहीं समझी। बहरहाल जब सभी अपर्नेअपने कमरों में सोने चले गये तो मैं भी अपने कमरे में आकर सो गई।   

चौथा व अन्तिम दिन हमारा स्टोक्होम में…। दोपहर में अपनी वापसी की ट्रेन पकड़ने से पहले हमारे पास चार घंटे का समय है। शोपिंग टाइम। हम सभी अलर्गअलग समूह में अलर्गअलग दिशाओं की तरफ निकल गये।  गामले स्टेनर्  ओल्ड टाऊन से वासाबरोन पुल पार कर नया शहर बसा है। पुल के आर्रपार जाने पर दोनों इलाकों में इतना फर्क नजर आता है। पुल के उधर एकदम आधुनिक और पुल के इधर प्राचीन। उधर कंकरीट की चौड़ी सड़क़े दीर्घकाय शोपिंग काम्पलक्स़ इधर पत्थर की तंग गलियां और छोर्टीछोटी दुकाने। यहां तक कि लोगों के व्यवहार व दृष्टिकोण में भी फर्क नजर आता है। इधर के लोग ज्यादा मैत्रीय व सगर्म नजर आते हैं। गामले स्टेऩ यानी पुराने शहर को यहां की सरकार ने जानबूझ कर सुरक्षित रखा है। 1300 का बसा यह ओल्ड टाऊऩ अधिकतर इमारतें यहां 170र्0 1800 की बनी है। शहर की धड़कन यह़ीं गामले स्टेनर्  ओल्ड टाऊनर्  पुराना शहर में ही समझने को मिलती है।

डेनिश क्रोनर स्वीडिश क्रोनर से अधिक संबल है। इसलिये डनेमार्क से यहां आने पर चीजे सस्ती लगती हैं। मैंने गामले स्टेन की एक अम्बर की दुल्कान से अपने लिये एक अंबर का एक ज्वैलरी सैट खरीद लिया। अपने पति के लिये एक बुढ़ी औरत की दुकान से हाथ का बुना स्केन्डिनेवियन डिजाइन का स्वेटर। बड़ा मजा आया उन दुकानदारों के साथ बारगनिंग करने में। इंडिया की याद आ गई। अपनी बेटियों के लिये कुछ खरीदने के लिये मैं वासाबरोन पुल पार कर नये शहऱ वाल्किंग स्ट्रीट  गई। वहां एक बड़े क्लोथस्टोर से उनके लिये एर्कएक स्कर्ट खरीदी। 

हम सभी ने स्टोक्होम यात्रा की कोई न कोई यादगार या सौगात खरीदी। "मैंने अपनी बहन के लिये यह खरीदा।" "मैंने अपनी मम्मी के लिये यह खरीदा। " बच्चे अपर्नीअपनी खरीदी चीजें मुझे दिखाने लगे। कुछ बच्चे होमसिक भी हो गये हैं। मुझसे कहने लगे कि उन्होंने स्टोक्होम में बहुत मजा किया पर अब वे वापस कोपनहेगन जाना चाहते हैं। वे अपनी फेमिली को मिस कर रहे हैं।   मैं उनसे बोल़ी "मैं तुम्हें क्या कहूं?  यहां तुम्हारी टीचर खुद होमसिक हो रही है।"

"बाय स्टोक्होम…" ट्रेन पर चढ़ते हुये बच्चे बोले। खिड़की से बाहर निहारते हुये आस्कर बोला़ "मैं यहां बार  बार  आना चाहूंगा। सच् ए वन्डरफुल्ल ट्रिप स्वीडिश डेनिशों से ज्यादा अच्छे लोग हैं।"  
          
शाम साढ़े सात बजे ट्रेन वापस कोपनहेगन पहुंची। स्टेशन पर कई अभिभावक अपने बच्चों का इन्तजार कर रहे है़ उनके बीच मेरे पति व बेटी भी खड़े हैं। जैसे ही हम ट्रेन से उतरे सभी अभिभावक  ‘वेलकम बैक’ कहते हुये हमारी तरफ बढ़े। लगता है बच्चों ने फोन पर अपने मातापिता को ट्रिप के बारे में अच्छी फीडबैक देदी है। सभी मेरा व एन्डरियाज का तहे दिल से आभार प्रकट करने लगे। कुछ बच्चों के अभिभावक उन्हें लेने आये हैं तो कुछों ने खुद ही अपने घरों का रास्ता पकड़ा। जब सभी बच्चे विदा हो गये तो मैंने और एन्डरियाज ने भी एर्कदूसरे को धन्यवाद कहा़ बॉय किया।

"हेव ए गुड वीकएण्ड। सोमवार को स्कूल में मिलते हैं। सी यू…" कहते हुये एन्डरियाज अपने घर के लिये लोकल ट्रेन पकड़ने के लिये दूसरे प्लेटफॉम की तरफ बढ़ गये। मैं अपने पति व बेटी के साथ कार पार्किग प्लेस की तरफ…। 

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