पूर्ण करो स्वप्न
सच करने हैं, गर सपने ।
तो नयन खुले रखो अपने ।।
मन में उमंग है, गर अपने ।
तो कर्मशील बनो पुरे होंगे सपने ।।
गर लक्ष्य केन्द्रित हैं, नयन में ।
गर पग उठ गये हैं, उस दिशा में ।।
फिर नयन को झपकने ना दो ।
मुख की प्रभा को छटने ना दो ।।
चाहे पथ अत्यंत दुर्गम हो ।
या चहूँ ओर फैला अँधेरा हो ।।
अपनी प्रभा बिखेर कर ।
प्रकाशमय ये जग कर ।।
पूर्ण जब हो जायेंगे सपने ।
आनंद विभोर तब होंगे अपने ।।
सार्थक होगा जन्म लेना, तब मानव ।
क्यूंकि चेतनाशील केवल होता है मानव ।।
''अभी'' गर पूर्ण करना है सपना ।
तो इस ओर क़दम बढ़ा ले अपना''।।
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तेरा आना
तेरा आना,
बहारों का खिल जाना ।
तेरा आना,
ठंढी पवन का चल जाना ।।
तेरा आना,
लहरों का साहिल से मिल जाना ।
तेरा आना,
नदियों का जल निर्मल बहना ।।
तेरा आना,
मन को चैन मिलना ।
तेरा आना,
ज़िन्दगी को नई राह पे लाना ।।
तेरा आना,
खुशियों को साथ लाना ।
तेरा आना,
मेरी ज़िन्दगी स्वर्ग बन जाना ।।
तेरा आना ।
तेरा आना ।
तेरा आना ।।
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ज़िंदगी हूँ मैं
क़दम से क़दम मिला-मेरी ओर हाथ बढ़ा
मेरी दुनिया में आकर देख-हाँ मेरी तरह जी के देख
सारे गिले-शिकवे दूर होंगें
आशा के नए पर लगेंगे
उमंगों के नए कोपले आयेंगे
उन्नति के फल लग जाएंगे ।
जीवन में रोना काम नहीं
रोना समस्याओं का निदान नहीं
बुज़दिलों से होता कोई काम नहीं
कर्मशील न कर पाये –ऐसा कोई काम नहीं ।
दुःख मे भी मुस्कुरा के तो देख
ज़िंदगी कहते हैं मुझे, गले लगा के देख
उलहना देना बंद कर मुझे
ईमानदारी से परिश्रम करके तो देख
खुशियाँ तेरे क़दम चूमेंगी
क़दम से क़दम मिला के देख
ज़िंदगी हूँ मैं,मुस्कुराते हुए
हाँ, मुझे जी के देख
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जो बात अच्छी-अपना लो
साया जुदा होता नहीं-चाहे लाख कोशिशें कर लो
एहसास कभी मरता नहीं-चाहे लाख जत्न कर लो
यादें कभी मिटती नहीं-चाहे लाख प्रय्तन कर लो
महोब्बत हो जाती है-चाहे लाख दिल को समझा लो
झूठ कभी छुपता नहीं-चाहे लाख छुपा लो
सच्चाई कभी मिटती नहीं-चाहे लाख मिटा लो
दुश्मनी में क्या रखा है-दोस्त बना लो
ये बातें अच्छी है-इसे अपना लो
2 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया राजीव भाई...
हटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.