विरासत में 'उपेन्द्र नाथ अश्क' की कहानी 'पहेली'
रामदयाल पूरा बहुरूपिया था।
भेस और आवाज बदलने में उसे कमाल हासिल था। कॉलेज मे पढ़ता था तो वहाँ उसके अभिनय की धूम मची
रहती थी….|
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भाषा सेतु
में ‘सुब्रमण्यम भारती’ की कविता ‘वंदेमातरम’
आओ गाएँ 'वन्देमातरम'।
भारत माँ की वन्दना करें
हम।
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देस-परदेस
में ‘फ्रांज़ काफ़्का’ की ‘कानून
के दरवाज़े पर’
कानून के द्वार पर रखवाला
खड़ा है। उस देश का एक आम आदमी उसके पास आकर कानून के समक्ष पेश होने की इजाज़त
मांगता है।
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‘दीप्ति
गुप्ता’ की कहानी ‘पारदर्शी’
राजश्री की रात आँखों में
ऐसे रिस-रिस के बीती कि सुब्ह उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। इतनी बेचैन
तो वह कभी नहीं हुई। ये क्या हो रहा है उसके साथ?
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‘सूरजप्रकाश’ की कहानी ‘यह जादू नहीं टूटना चाहिये’
अभी केबिन में आकर बैठा ही
हूं कि मेरे निजी फोन की घंटी बजी। इस नम्बर पर कौन हो सकता है। मैंने हैरान होते
हुए सोचा....।
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'बलराम
अग्रवाल' का आलेख 'लघुकथा का
नेपथ्य'
लघुकथा, कहानी और
उपन्यास की प्रकृति और चरित्र में इनके नेपथ्य के कारण भी आकारगत आता है।
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धूमिल की कवितायें
करछुल...
बटलोही
से बतियाती है और चिमटा..।
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मैंने पढी किताब में ‘सरिता
शर्मा’ का 'दि गर्ल' पर विमर्श
बार गर्ल्स के जीवन पर लिखे नॉनफिक्शन ‘ब्यूटीफुल थिंग’ से विख्यात होने वाली
पत्रकार और लेखिका सोनिया फेलेरो का पहला उपन्यास‘दि गर्ल’ है।
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’विजेन्द्र’ की कविता ‘एक बच्चे
के जन्म पर'
मैं इन आवाजों को सदियों से
सुन रहा हूँ
ये मेरे पूर्वजों ने भी
सुनी थी।
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‘विष्णु प्रभाकर’ की लघुकथा ‘फ़र्क’
उसने उत्तर दिया,"जी नहीं, मैं उधर
कैसे जा सकता हूँ?" और मन ही मन कहा-मुझे आप इतना मूर्ख कैसे समझते
हैं?
मैं इंसान, अपने-पराए में भेद करना मैं जानता हूँ।
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