विरासत में कबीर के गुरु विषयक दोहे
जाका गुरु भी आंधला, चेला खरा
निरंध।
अंधा-अंधा ठेलिया, दून्यूँ
कूप पडंत॥
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देस-परदेस में बर्तोल्त ब्रेख़्त की कविता - 'अध्यापक'
अक्सर मत कहो कि तुम सही हो,
छात्रों को उसे महसूस कर
लेने दो।
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‘आकांक्षा’
यादव का आलेख ‘गुरु शिष्य की बदलती परम्परा’
भारत में गुरू-शिष्य की
लम्बी परंपरा रही है। प्राचीनकाल में राजकुमार भी गुरूकुल में जाकर शिक्षा ग्रहण करते थे और विद्यार्जन के
साथ-साथ गुरू की सेवा भी करते थे।
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ओशो कहते हैं कि गुरु होश में
लाता है।
गुरु का एक ही अर्थ हैः
तुम्हारी नींद को तोड़ देना। तुम्हें जगा दे, तुम्हारे सपने बिखर जाएं, तुम होश से भर जाओ; नींद बहुत गहरी है।
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भाषा सेतु
में लाला जगदलपुरी' की भतरी बोली में रचना – ना जानी
होय' एवं अनुवाद।
कार बन्धु आय कोन? ना जानी होय
कार मने मयाँ सोन? ना जानी होय
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शिक्षक
दिवस पर 'डॉ. सरस्वती माथुर' के 'हाईकु'
गुरु की वाणी
अनुभवों
की होती/ खुली किताब
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प्रेरक व्यक्तित्व में
"शिक्षक राष्ट्रपति"
डॉ राधाकृष्णन अपनी बुद्धिमतापूर्ण व्याख्याओं, आनंददायी
अभिव्यक्ति और हंसाने, गुदगुदाने वाली कहानियों से अपने छात्रों को
मंत्रमुग्ध कर दिया करते थे।
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मैने पढी किताब में “हंस” के
सितम्बर-2012 अंक पर एक विमर्श
यह बस्तर के परिवेश पर
केन्द्रित एक गैर राजनीतिक कहानी है; आदि से अंत तक इसमें अगर कुछ है तो उस समाज की पीडा है....।
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शिक्षक दिवस पर दीपक शर्मा की
कविता
उपदेश से, उसूल से, सार और व्याख्यान
से
अप्रमाण जीवन को मिली परिधि
नई,
नव दिशा।
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इस अंक की ई-पुस्तक – “कालजयी कहानियाँ; भाग-1”
ई-पुस्तक “कालजयी कहानियाँ; भाग-1” को डाउनलोड करने के लिये कृपया नीचे दिये गये लिंक
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1 टिप्पणियाँ
Bahut Badhiya.
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