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वर्ष छ:, अंक – 21



विरासत में दूधनाथसिंह की कहानी 'चूहेदानी'   
गाड़ी चल पड़ी तो उसका मन हुआ प्लेटफ़ार्म पर रूमाल हिलाते बसन्त को बुला ले। उसके अगल-बगल मुसाफ़िरों और विदा देने वालों का झुण्ड निकलता जा रहा था....।  
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भाषा सेतु में 'ऑस्कर वाइल्ड' की कहानी द यँग किंग’ [अनुवाद: द्विजेन्द्र द्विज’]
यह रात उसके राज्याभिषेक के लिए निर्धारित रात से पहले की एक रात थी और युवा नरेश अपने सुन्दर कक्ष में अकेला बैठा हुआ था। 
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‘पिछले अंकों से’ में रूपसिंह चन्देल की कहानी ‘क्रांतिकारी’
समस्या ज्यों-की त्यों विद्यमान थी। सात महीने सोचते हुए बीत गये थे, लेकिन न तो शैलजा ही कोई उपाय सोच पायी और न ही शांतनु।   
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शहरयार से डॉ. प्रेमकुमार की बातचीत
कमलेश्वर शहरयार को एक खामोश शायर मानते थे। एक ऐसा खामोश शायर जब इस कठिन दौर व खामोशी से जुड़ता है.....। 
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आर.पी.शर्मा "महरि‍ष" की दो गज़लें  
तुम ठहरने को जो कहते तो ठहर जाते हम
हम तो जाने को उठे ही थे न जाने की तरह।
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डॉ. रमाकांत शर्माकी कहानी ट्रांजि‍स्टर
खूबसूरत पहाड़ों के बीच बसे उस छोटे से गांव में पली-बढ़ी शन्नो का बचपन वैसे ही बीत रहा था जैसे ऐसे गांव की अन्य सभी लड़कि‍यों का बीतता था।  
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सुबोध श्रीवास्तव की कवितायें
तुमने कहा कि तुम
सूरज के पास रहते हुए भी/ नहीं भूले 
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मैने पढी किताब में सरिता शर्मा ने पढी ‘सैम्स स्टोरी’  
सैम्स स्टोरीश्रीलंकाई लेखक एल्मो जयवर्देना का पहला उपन्यास है। वह सिंगापुर एयरलाइन में पायलट हैं और अपने खाली समय में गरीबों की मदद करते हैं।   
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डा. गरिमा तिवारी का व्यंग्य ‘‘ योगहार्ट, घोड़ा चौक और अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ’'
भूमंडलीकरण की इस संगोष्ठी में भाग लेने के लिए आज सुबह जब मैं घर से निकलने लगा तो मेरी अर्धांगिनी ने मुझसे कहा कि गर्मी के दिन हैं.....।
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आओ धूप में राजेश काटुलकर की कवितायें 
नदी चलकर आयी थी/ प्यासे के पास
प्यासे ने पूछा,  कौन हो तुम?
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