ऐसा कहा जाता रहा है कि जो काम करते हैं वे कभी भी किसी से नहीं डरते हैं और जो काम नहीं करते हैं वे ही डरते हैं। लेकिन आज के दौर में थोड़ा बदलाव आ गया है क्योंकि जो काम नहीं करते हैं वे भी अब किसी से नहीं डरते क्योंकि वो काम ना करके किसी और तरीके से अपना काम भी करवा लेते हैं और तारीफ के काबिल भी बन जाते हैं।
आजकल कोई भी काम करने को तैयार नहीं है। फिर चाहे काम घर का हो या ऑफिस का, सबको बनी बनाई खिचड़ी खाने की आदत हो गई है। लोग तो आजकल अपने खुद के काम करने को भी तैयार नहीं हैं। इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं जो इस प्रकार हैं :
1. कामचोरी - सबसे पहला और महत्वपूर्ण कारण है कामचोरी। कामचोरी, आजकल काम ना करने वालों का एक गुण बन गया है। कामचोर लोग आपको हर जगह मिल जाएंगे। काम से जी चुराएँ और तारीफ पाते जाएँ। आज के समय में अगर आपको आगे बढ़ना है तो कामचोर होना बहुत जरूरी है। फिर चाहे वह ऑफिस हो या फिर घर। ऑफिस में जो लोग देर से आते हैं और जल्दी जाते हैं, अधिक छुट्टी करते हैं और काम ना करने के बहाने मारते हैं वही तारीफ पाते हैं। घर पर भी जो काम से जी चुराते हैं, घर का काम ना करना पड़े उसके लिए नए-नए बहाने तैयार रखते हैं वही परिवार में सबसे अच्छे माने जाते हैं। फिर चाहे वे घर के बड़े हो या फिर छोटे। काम करने वालों की कहीं भी इज्जत नहीं होती है। जो व्यक्ति काम करता है उसे गधे की तरह जोता जाता है और काम न करने वाले आराम करते हैं।
2. आलस - दूसरा महत्वपूर्ण कारण है आलस। आजकल लोग इतने आलसी हो गए हैं कि कोई भी काम करना पसंद नहीं करते हैं। कोई भी काम समय पर ना करना इनकी आदत सी हो गई है। आलस्य के कारण मनुष्य प्रात:काल का कार्य दोपहर में और दोपहर का कार्य शाम को टालता रहता है और या फिर करता ही नहीं है।
3. दूसरे का फायदा उठाना - दूसरे का फायदा उठाना अगर आपको आता है तो आपको जीवन में यकीनन कभी कोई भी काम खुद से नहीं करना पड़ेगा। दूसरे की तारीफ करते रहे और उससे अपना काम कराते रहे।
4. छोटो का शोषण - ऑफिस और घर दोनो जगहों पर छोटों का शोषण होता है। छोटो को दबाकर रखने से और उनसे काम कराने से आपको कोई भी नहीं रोक सकता। ऑफिस में सीनियर अधिकारी जूनियर अधिकारी से काम करवाता है और घर पर बड़े-बुजुर्ग छोटो से काम करवाते हैं।
5. दूसरे को नीचा दिखाना - जो काम करते नहीं या करना नहीं चाहते वे हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं और काफी हद तक सफल भी हो जाते हैं। अस प्रकार के लोगों ने सीनियर अधिकारियों की चापलूसी करके अपना स्थान ऐसा बना लिया होता है कि ये लोग बड़ी आसानी से किसी भी जूनियर को नीचा दिखा सकते हैं।
6. काम का ज्ञान ना होना - आजकल ऐसा भी होता है कि जिस काम के लिए जिस व्यक्ति को रखा जाता है उसे वह काम आता ही नहीं है। कार्यालयों में ये अक्सर देखा जा रहा है कि काम का ज्ञान ना होने पर भी व्यक्ति विशेष को उच्च पद की प्राप्ति होती है। घरों में भी ये देखा जाता है कि अगर घर में किसी सदस्य को कोई काम नहीं आता है तब भी वह आदर स्वरूप होता है क्योंकि उसने दूसरों की तारीफ करके अपने लिए यह स्थान बनाया होता है।
7. काम ना आने के नाटक करना - खुद को कोई काम ना करना पड़े उसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप यह बोल दे कि आपको वह काम आता ही नहीं है। लेकिन ऐसा करने का भी आपको नाटक करना आना चाहिए।
8. इधर उधर समय व्यतीत करना - आजकल लोगो के पास काम करने का तो समय बिल्कुल नहीं है लेकिन इधर उधर समय व्यतीत करने के लिए समय ही समय है। ऑफिस हो या घर, हर जगह आपको ऐसे लोग मिल ही जाएंगे जिनके पास काम करने का तो बिल्कुल समय नहीं है लेकिन इधर उधर समय फालतू समय व्यतीत करने के लिए समय ही समय है।
9. सिर्फ अपने पर ध्यान देना - घर पर और काम पर ध्यान न देने से जब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और सिर्फ अपने पर ध्यान देने से ही सब अच्छा चल रहा है तो फिर किसी की क्या परवाह करना और काम क्यों करना। इस प्रकार की सोच लेकर आज का आदमी जीता है।
10. काम ना सीखना - आजकल के समय में किसी को भी काम सीखने की इच्छा नहीं होती है। उसे लगता है कि जीवन की नैया अगर बिना काम सीखे ही अच्छी चल रही है तो काम सीखकर क्या होगा। काम सीखने के लिए पहले तो इच्छा होनी चाहिए, फिर कामचोरी और आलस्य को त्यागना होगा। इतना सब कोई क्यों करेगा। जब काम न सीखकर और ना करके बढ़िया रूप से जीवन चल रहा है तो कोई क्यों मेहनत करे।
11. आदत - लोगों को आजकल काम न करने की आदत सी लग गई है। या तो वे ऐसा देखकर सीखते हैं और या फिर उनके संस्कार ही ऐसे होते हैं कि काम नहीं करना मतलब नहीं करना। मर जाएंगे लेकिन काम नहीं करेंगे। चाहे फिर वह काम घर का हो या फिर ऑफिस का।
शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति, बौद्धिक विकास और ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति हेतु हमें मन और मुँह को एक करके भावों को जीवन में कार्यान्वित करना होगा। इसी को श्री रामकृष्ण कहा करते थे, "भाव के घर में किसी प्रकार की चोरी न होने पाये।" सब विषयों में विद्वान बनना होगा। चाणक्य सूत्र में भी है : मूर्ख अपने घर में पूजा जाता, मुखिया अपने गांव में, परंतु विद्वान सर्वत्र पूजा जाता है।
डॉ. काजल बाजपेयी
वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी
सी-डैक, पुणे
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