HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

शिक्षक दिवस पर दीपक शर्मा की कविता



आपके आशीष से, तालीम से और ज्ञान से
उपदेश से, उसूल से, सार और व्याख्यान से
अप्रमाण जीवन को मिली परिधि नई, नव दिशा
श्वेत मानस पटल पर स्वरूप विद्या का धरा
डगमगाते कदम को नेक राह दी,आधार दिया
संकीर्ण ,संकुचित बुद्धि को अनंत सा विस्तार दिया
पहले सेमल से कपास पश्चात कपास को सूत कर
रूई को आकृति एक और बाती सा सुन्दर नाम दिया

कभी आचार से ,सदाचार से ,कभी नियम-दुलार से
उद्दंडता को दंड देकर हमे विकसित किया,आयाम दिया.
निर्लोभ रह देते रहे सब , न कुछ अभिलाषा रही
पात्र जीवन मे सफल हो शायद यही आशा रही
आपके ऋण से उऋण किसी हाल हो सकते नहीं
कुछ शब्द मे अनुसंशा कर जज़्बात कह सकते नहीं
गुरुवर मेरे सिर पर पुनः आशीषमय कर रख दीजिये
“दीपक “जले सूरज जैसा इतना प्रकाश भर दीजिये

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. तपाईं एक ऋण चाहिन्छ? म कम लागत संग ऋण प्रस्ताव एक साँचो ऋण ऋणदाता हुँ। तपाईं रुचि हो भने अब लागू हुन्छ। morriswilsonloanoffer@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  2. गुरुवर मेरे सिर पर पुनः आशीषमय कर रख दीजिये
    “दीपक “जले सूरज जैसा इतना प्रकाश भर दीजिये
    ..बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...