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रतीनाथ योगेश्वर की तीन गजलें



बातों - बातों में जो सिहरती  है
हाँ वो लड़की  किसी पे मरती है

हाथ में  खुशबू भरा खत लेकर
अब  हवा  चलती औ ठहरती है

बजने  लगती है धूप आँगन की
जब भी  वो सीढ़ियाँ उतरती है

इश्क  करना  तो बस इबादत है
बात  ये  सबको क्यूँ अखरती है

सबकी रातों को नींद मिल जाये
रब से ऐसी  दुआ  वो करती है

लम्हा  लम्हा   धड़कने लगता है
चॉदनी  छत  पे  जब पसरती है

जैसे  लावा   पिघलकर बहता है
खुद  के भीतर से वो गुजरती है

मेरी  सॉसों के  बहते  दरिया में
बीच   लहरों  के  वो उभरती है

बदनज़र   से तुझे  बचाने   का
जाने क्या क्या जतन वो करती है
       
=====

अपने दिल  का  हाल सुनाऍ
गर  तुझको  हम तन्हा पाऍ

एक  पॉव  पर  खड़े हुए हैं
उसको  आख़िर कहॉ बिठाऍ

तेरी  ऑखें   क्या  कहती हैं
सबसे  इसका   राज़ छिपाएँ

उसके बदन की खुशबू लेकर
ख्वाबों  का इक शहर बसाएँ

ओढ़  सितारों  वाली  चादर
चाँद  बजाएँ  रात  को गाएँ
             
=====

थोड़ा सा  जो  वक़्त मैं पाऊॅ
अपने  बच्चों  से  मिल आऊॅ

थोड़े   लम्हे   थोड़ी   सॉसें
किसका किसका कर्ज़ चुकाऊॅ

शहर  अपरिचित  लोग पराये
किससे  रूठॅू  किसे   मनाऊॅ

लोग  बदल  लेते  है   रस्ता
तुम  कहते  हो  हाथ मिलाऊॅ

चलना रूकना फिर चल पड़ना
बस  अपने  तक आऊॅ-जाऊॅ

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10 टिप्पणियाँ

  1. Veeraane ke chaaro taraf hariyaali, hariyaali ke beecho beech Viraana, teeno rachnaayen kisi aur hi aayaam mein le jaati hain.. Saadhuvaad

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार ग़ज़लें हैं
    हर शे'र पर ढेरो दाद क़ुबूल करें

    - वीनस

    जवाब देंहटाएं
  3. ग़ज़ल कहीं आपने ग़ज़ल की तरह
    आभार

    जवाब देंहटाएं

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