जादुई यथार्थ का उपन्यास
उपन्यासकार और नाटककार बियी बन्देले का जन्म उत्तरी नाइजीरिया में हुआ। उन्हें पत्रकारिता, थिएटर, फिल्म, रेडियो और टीवी से जुड़े होने के नाते ब्रिटेन में बसे समकालीन नाइजीरियाई लेखकों में सबसे बहुमुखी लेखक के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है। ‘दि स्ट्रीट’ में लन्दन के उपनगर ब्रिक्सटन के बहुनस्लीय समुदाय के वातावरण को दर्शाया गया है। इसमें ओस्सी जोन्स के जीवन के अंतिम दिन को चित्रित किया गया है। वह वकील है जो बेटी नेहुस्ता के साथ ब्रिक्सटन में रहता है। पत्नी केट की बच्चे को जन्म देने के समय मृत्यु के बाद से वह बहुत अधिक शराब पीने लगता है। पिता और बेटी को सैर के दौरान रास्ते में मिलने वाले पात्रों के माध्यम से ब्रिक्सटन शहर के जीवन प्रस्तुत किया है। तीन परस्पर जुड़ी कथाएं हैं जो चित्रकार नेहुस्ता और उसके पिता ओस्सी जोन्स, एक नाइजीरियाई पत्रकार दादा और उसके चचेरे भाई हेकलर और कोर्नर 7-इलेवन में काम करने वाली सुन्दर लड़की पर आसक्त पड़ोस में रहने वाले हाइफ़ा कम्पाना पर केंद्रित हैं। ये पात्र सौहार्द की भावना, अपनेपन की तलाश और स्वयं को समझने के लिए एक दूसरे के जीवन में आवाजाही करते रहते हैं।
बियी बन्देले ने हास्य, स्वप्नमयता, जुनून, और विनोद को मिलाकर जादुई माहौल का निर्माण किया है। बियी बन्देले जादुई यथार्थवादी हैं और भाषा से बहुत प्रेम करते हैं। उनमें अद्भुत काव्यात्मकता है और वह सावधानी से चुने गये कुछ शब्दों के इस्तेमाल से जादुई छवियों को प्रस्तुत करने में सक्षम हैं। उनका हास्यबोध भी उल्लेखनीय है। एक पात्र सायरन और गोलियों की आवाज के लगातार सुनने का जिक्र करता है। स्थानीय लोग इसे ब्रिक्सटन का राष्ट्र गान समझते हैं। कुछ वाक्य बहुत चुटीले और यादगार हैं जैसे- ‘उसका दिमाग सांप के काटने जितना तीखा था और उतना ही घातक भी।’ या ‘उसकी मुस्कान इतनी उजली और गर्मजोशी भरी थी कि लोग उसके तले अपने कपड़े सुखा दिया करते थे।’
एक दृश्य में कोई पूछता है, ‘आज की सुबह जिंदगी तुम्हारे साथ कैसा सुलूक कर रही है?’ जवाब मिलता है, ‘जैसा एक बच्चा डायपर के साथ करता है।’
चोर और उसकी प्रेमिका के संवाद भी दिलचस्प हैं -
‘जानेमन, क्या तुम्हारी माँ चोर है?'
'नहीं, वह चोर नहीं है।' प्रेमिका ने नाराज होकर कहा। चोर बोला, 'अच्छा, तो प्रिये, फिर इतने सारे हीरे किसने चुराकर तुम्हारी आँखों में डाल दिये हैं?’
इस उपन्यास में ब्रिक्सटन में आप्रवासी संस्कृति के इतिहास को अतियथार्थवादी शैली में चित्रित किया है जहाँ अफ्रीकी आप्रवासी रहते हैं, काम करते हैं और अपना मनबहलाव करते हैं। समीक्षक केट फ्लेमिंग ने ठीक ही कहा है, ‘दि स्ट्रीट’ में कुछ व्यक्तियों के जीवन पर प्रकाश डालने या ब्रिक्सटन स्ट्रीट के समुदाय को चित्रित करने की कोशिश ही नहीं की गयी है, बल्कि यह अफ्रीकी समुदाय की विरासत को भी प्रदर्शित करता है।’
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1 टिप्पणियाँ
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