रमज़ान का महीना है
भीड़ में क्या मांगूँ ख़ुदा से
भीड़ में क्या मांगूँ ख़ुदा से

उत्तर प्रदेश के जौनपुर कस्बे में जन्मे क़ैस जौनपुरी वर्तमान में मुम्बई में अवस्थित हैं।
आप विभिन्न फिल्मों, टीवी धारावाहिकों आदि से बतौर संवाद और पटकथा लेखक जुड़े रहे हैं। आपने रॊक बैंड "फिरंगीज़" के लिए गीत भी लिखे हैं। इनके लिखे नाटक "स्वामी विवेकानंद" का कई थियेटरों में मंचन भी हो चुका है।
अंतर्जाल पर सक्रिय कई पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ, कविताएं आदि प्रकाशित हैं।
आप विभिन्न फिल्मों, टीवी धारावाहिकों आदि से बतौर संवाद और पटकथा लेखक जुड़े रहे हैं। आपने रॊक बैंड "फिरंगीज़" के लिए गीत भी लिखे हैं। इनके लिखे नाटक "स्वामी विवेकानंद" का कई थियेटरों में मंचन भी हो चुका है।
अंतर्जाल पर सक्रिय कई पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ, कविताएं आदि प्रकाशित हैं।
दुनिया भर के मुसलमान एक साथ रोज़ा रखते हैं
सुना है रोज़े में हर दुआ क़ुबूल भी होती है
अल्लाह मियां के पास काम बहुत बढ़ गया होगा
आख़िर इतने लोगों की दुआएं जो सुननी हैं
और फिर सिर्फ़ मुसलमान ही क्यूं
उन्हें तो पूरी दुनिया का भी ख़याल रखना है
आख़िर पूरी दुनिया उन्हीं ने तो बनाई है
सोचता हूँ अकेले में मांगूं ख़ुदा से
ताकि वो सुन ले
साल में किसी ऐसे दिन रोज़ा रखूं
जिस दिन कुछ न हो
और ख़ुदा फुर्सत में हो
सोचता हूँ हज़ भी तब जाऊं
जब वहां कोई न हो
सिर्फ़ मैं रहूँ और मेरा ख़ुदा रहे
ताकि अच्छे से मुलाकात हो सके
हर साल इतनी भीड़ जमा हो जाती है
धक्का-मुक्की में भला ख़ुदा कहाँ से मिलेगा
मैं तो तब जाऊँगा
जब हज का महीना न होगा
सब खाली-खाली रहेगा
फिर एक सजदा...
और फिर उठने की कोई ज़रूरत नहीं
वहीँ आदम की निशानी पे
जहाँ वो उतरे थे
वहीँ बैठ जाऊँगा
और कहूँगा
इंसान को तुमने यहीं उतारा था
आदम यहीं उतरे थे
मैं आदम के खानदान से हूँ
और मैं आदम की जात से
बहुत परेशान हो चुका हूँ
आपने किस काम के लिए भेजा था
और सब क्या कर रहे हैं
बस, अब मैं वापस नहीं जाऊँगा
अब मुझे यहीं से
अपने पास बुला लो...
अरसा हुआ
तुम्हें देखा नहीं है
1 टिप्पणियाँ
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.