"प्रेमहीन जीवन शून्य है, ये मुझे बेहतर पता है। इसलिए उसकी पीड़ा को समझता हूँ।" आकाश शून्य की ओर देखते हुए प्रतीक से बोला।
वर्त्तमान में कक्षा बारहवीं के छात्र पियुष द्विवेदी ‘भारत’
उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के निवासी हैं। इतिहास के अध्ययन के साथ ही साहित्य लेखन का शौक रखने वाले पीयूष अब तक सौ से अधिक कविताएँ तथा कुछ कहानियाँ व आलेख आदि
लिख चुके हैं।
"किसकी पीड़ा? तुम्हारी प्रेमिका?" प्रतीक बोला।
"ना! एक मित्र है, बहुत प्रेम करता है एक से, पर कह नही पा रहा है।"
“कौन मित्र?” “अभिनव, कॉलेज वाला...!”
“जानता हूँ। किसको चाहता है? रहती कहाँ है?”
“जैसा कि उसने बताया है, तुम्हारे ही मोहल्ले में!”
“क्या बात कर रहे हो, ऐसा है, तब तो तुम्हारे दोस्त की समस्या हल..!” अबकी प्रतीक उत्तेजित था।
“पता नही। आसान नही लगता।”
“आसान कर देंगे। दो प्रेमियों को मिलाने से बड़ा पुण्य क्या! पर प्रेमिका का नाम तो बताओ?”
“अनुराधा....!”
“क्या, उसकी इतनी हिम्मत, जिन्दा नही छोड़ूँगा कमीने को, खून कर दूँगा!”
प्रतीक अचानक गुस्से में आ गया था। अनुराधा उसकी बहन का नाम था।
2 टिप्पणियाँ
अच्छी कहानी......
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
बेहतरीन लघुकथा
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