HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

मान जाया करो [ग़ज़ल] - वीनस केसरी

mere-hawale-qatil-shifai
हम जो कह दें उसे मान जाया करो
आईनों से जुबां मत लड़ाया करो

खुद को खुद से बचाया करो दिन में तुम
रात भर खुद को खुद पे लुटाया करो

Venus Kesariरचनाकार परिचय:-

पेशे से पुस्तक व्यवसायी तथा इलाहाबाद से प्रकाशित त्रैमासिक ’गुफ़्तगू’ के उप-संपादक वीनस केसरी की कई रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आकाशवाणी इलाहाबाद से आपकी ग़ज़लों का प्रसारण भी हुआ है। आपकी एक पुस्तक “इल्म-ए-अरूज़” प्रकाशनाधीन है।

मैं भी तुमको परेशां करूं रात दिन
तुम भी मुझको बराबर सताया करो

जिनमें हद से जियादा शराफत दिखे
उनकी मासूमियत पर न जाया करो

अपनी कीमत को समझा करो दोस्तों
इस कदर भी न खुद को लुटाया करो

वक्त पर छोड़ दो तुम कई फैसले
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो

सीख लो मुझसे तुम इश्क की हर अदा
और मुझको ही तेवर दिखाया करो

जब भी चाहो बसा लो मुझे दिल में तुम
जब भी चाहे मुझे तुम पराया करो

वक्त ए रुखसत निगाहें वो कहती गईं
मुझको सोच कर मुस्कुराया करो

जानो वीनस जी ग़ज़लों की बारीकियां
खर्च करने से पहले कमाया करो

एक टिप्पणी भेजें

3 टिप्पणियाँ

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...