हम जो कह दें उसे मान जाया करो
आईनों से जुबां मत लड़ाया करो
खुद को खुद से बचाया करो दिन में तुम
रात भर खुद को खुद पे लुटाया करो
आईनों से जुबां मत लड़ाया करो
खुद को खुद से बचाया करो दिन में तुम
रात भर खुद को खुद पे लुटाया करो
पेशे से पुस्तक व्यवसायी तथा इलाहाबाद से प्रकाशित त्रैमासिक ’गुफ़्तगू’ के उप-संपादक वीनस केसरी की कई रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आकाशवाणी इलाहाबाद से आपकी ग़ज़लों का प्रसारण भी हुआ है।
आपकी एक पुस्तक “इल्म-ए-अरूज़” प्रकाशनाधीन है।
मैं भी तुमको परेशां करूं रात दिन
तुम भी मुझको बराबर सताया करो
जिनमें हद से जियादा शराफत दिखे
उनकी मासूमियत पर न जाया करो
अपनी कीमत को समझा करो दोस्तों
इस कदर भी न खुद को लुटाया करो
वक्त पर छोड़ दो तुम कई फैसले
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
सीख लो मुझसे तुम इश्क की हर अदा
और मुझको ही तेवर दिखाया करो
जब भी चाहो बसा लो मुझे दिल में तुम
जब भी चाहे मुझे तुम पराया करो
वक्त ए रुखसत निगाहें वो कहती गईं
मुझको सोच कर मुस्कुराया करो
जानो वीनस जी ग़ज़लों की बारीकियां
खर्च करने से पहले कमाया करो
3 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर गजल प्रस्तुति! आभार
जवाब देंहटाएंहम जो कह दें उसे मान जाया करो
जवाब देंहटाएंआईनों से जुबां मत लड़ाया करो
बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !!
Sundar
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.