साहित्य-शिल्पी के संचालक सदस्य श्री राजीव रंजन प्रसाद की कृति “बस्तरनामा” का विमोचन शुक्रवार, दिनांक 20 फरवरी, 2015 को विश्व पुस्तक मेले में किया गया। पुस्तक अनावरण के इस अवसर पर लेखक समेत श्री अमरेंद्र किशोर, श्री पंकज झा, श्री संजीव सिन्हा, श्री शिवानंद द्विवेदी, श्री आशीष अंशु तथा श्री गिरीश पंकज मंच पर उपस्थित थे। यह कृति लेखक द्वारा गोवा की राज्यपाल महामहिम मृदुला सिन्हा को पुस्तक मेले में भेंट की गयी।
लेखक की बस्तर पर केंद्रित पुस्तक “बस्तरनामा” वस्तुत: समग्रता से बस्तर अंचल को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। लगभग पाँच सौ पृष्ठों की यह पुस्तक छ: खण्डों में विभाजित है जिसमें बस्तर अंचल का भूगोल, भू-विज्ञान, पर्यावरण, इतिहास, समाजशास्त्र, लोकजीवन, लोककला, समसामयिक विमर्श, पर्यटन समेत अंचल के अनेक जननायकों का परिचय भी प्रदान किया गया है। “बस्तरनामा” को यश पब्लिकेशंस, नवीन शहादरा, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।
“बस्तरनामा” का विमोचन करने से पूर्व लेखक राजीव रंजन प्रसाद की एक अन्य कृति “मौन मगध में” पर चर्चा विश्व पुस्तक मेले के लेखक-मंच पर हुई। इस कृति के लिए उन्हें इस वर्ष राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा “इंदिरागाँधी राजभाषा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
पुस्तक पर बोलते हुए पंकज झा ने बताया कि किस तरह लेखक ने यह कृति बस्तर और मगध क्षेत्र के अंतर्सम्बंध को स्थापित करते हुए लिखी है। श्री संजीव सिन्हा ने मगध के आम जन को और स्थानीयता को पुस्तक में स्थान दिया गया है, इस पर विशेष चर्चा करते हुए पुस्तक की समालोचना प्रस्तुत की। अमरेंद्र किशोर ने जनपक्षधर पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि मगध कभी मौन नहीं रहा, अत: पुस्तक का शीर्षक चौंकाता है। गिरीश पंकज ने इतिहास के उन पहलुओ पर अपनी बात रखी जिस कारण मगध क्षेत्र की महत्ता है और इस तथ्य को लेखक ने गहन शोध द्वारा पुस्तक में किस तरह स्थापित किया है। कार्यक्रम में मंच संचालन श्री शिवानंद द्विवेदी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन आशीष कुमार अंशु ने प्रस्तुत किया।
लेखक की बस्तर पर केंद्रित पुस्तक “बस्तरनामा” वस्तुत: समग्रता से बस्तर अंचल को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। लगभग पाँच सौ पृष्ठों की यह पुस्तक छ: खण्डों में विभाजित है जिसमें बस्तर अंचल का भूगोल, भू-विज्ञान, पर्यावरण, इतिहास, समाजशास्त्र, लोकजीवन, लोककला, समसामयिक विमर्श, पर्यटन समेत अंचल के अनेक जननायकों का परिचय भी प्रदान किया गया है। “बस्तरनामा” को यश पब्लिकेशंस, नवीन शहादरा, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।
“बस्तरनामा” का विमोचन करने से पूर्व लेखक राजीव रंजन प्रसाद की एक अन्य कृति “मौन मगध में” पर चर्चा विश्व पुस्तक मेले के लेखक-मंच पर हुई। इस कृति के लिए उन्हें इस वर्ष राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा “इंदिरागाँधी राजभाषा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
पुस्तक पर बोलते हुए पंकज झा ने बताया कि किस तरह लेखक ने यह कृति बस्तर और मगध क्षेत्र के अंतर्सम्बंध को स्थापित करते हुए लिखी है। श्री संजीव सिन्हा ने मगध के आम जन को और स्थानीयता को पुस्तक में स्थान दिया गया है, इस पर विशेष चर्चा करते हुए पुस्तक की समालोचना प्रस्तुत की। अमरेंद्र किशोर ने जनपक्षधर पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि मगध कभी मौन नहीं रहा, अत: पुस्तक का शीर्षक चौंकाता है। गिरीश पंकज ने इतिहास के उन पहलुओ पर अपनी बात रखी जिस कारण मगध क्षेत्र की महत्ता है और इस तथ्य को लेखक ने गहन शोध द्वारा पुस्तक में किस तरह स्थापित किया है। कार्यक्रम में मंच संचालन श्री शिवानंद द्विवेदी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन आशीष कुमार अंशु ने प्रस्तुत किया।
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