एक ऐसा नाम जो ना कोई
महानायक का है
ना कोई बड़े गायक का
ना ही किसी भाग्य विधायक का
यह तो नाम है
महानायक का है
ना कोई बड़े गायक का
ना ही किसी भाग्य विधायक का
यह तो नाम है
संतोष पटेल जन्म - 4 मार्च, 1974,बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार सम्प्रति - संपादक - भोजपुरी ज़िन्दगी, सह संपादक - पुर्वान्कूर, (हिंदी - भोजपुरी ), साहित्यिक संपादक - डिफेंडर (हिंदी- इंग्लिश- हिंदी), रियल वाच ( हिंदी), उपासना समय (हिंदी), सहायक संपादक - भोजपुरी पंचायत. *** भोजपुरी कविताएँ एम ए (भोजपुरी पाठ्यक्रम, जे पी विश्वविद्यालय ) में चयनित " भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह-संपादन - प्रो शत्रुघ्न कुमार *** सदस्य - भोजपुरी सर्टिफिकेट कोर्स निर्माण समिति, इग्नू, दिल्ली *** सदस्य - आयोंजन समिति - विश्व भोजपुरी सम्मलेन, दिल्ली ( महासचिव - पूर्वांचल एकता मंच) राष्ट्रीय संयोजक - इन्द्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद् महासचिव - अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ, दिल्ली प्रचार मंत्री - अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन, पटना प्रकाशन - भोर भिनुसार (भोजपुरी काव्य संग्रह), शब्दों के छांह में (हिंदी काव्य संग्रह), Bhojpuri Dalit Literature- Problem in Historiography प्रकाश्य - भोजपुरी आन्दोलन के विविध आयाम, भोजपुरी का संतमत- सरभंग सम्प्रदाय, , Problem in translating Tagore's novel - The Home and The World , अदहन (भोजपुरी के नयी कविता) कविता पाठ / पेपर रीडिंग - राष्ट्रीय आ अंतर राष्ट्रीय मंच से
एक द्रुतगामी रेल का
जो परिचायक है भारी भीड़
और रेलमपेल का
जहाँ साँस टंगी रहती है
शरीर खड़ा रहता है
दबा रहता है
पीसता रहता है
चक्की में जैसे आटा
फिर भी सुनहले सपनों में
उलझा रहता है
देह से निकलता पसीना
भले दुसरों को अच्छा न लगे
मजदूर के लिए
चन्दन समझें /माने
क्योंकि उसी में
बसता है
उसका दाना पानी
उम्मीद की सोना चांदी
भविष्य की कहानी
चार पैसा कमा कर
उलझे भाग्य को सुलझाने की चाह
बूढ़े बाप के लिए चश्मा
माँ के लिए दवाई
और बीबी के लिए
फागुन की साड़ी
उसे तो दिखता है
बस दो जून की रोटी
पूरा परिवार को जिलाने के लिए
समय की फटी हुयी चादर
सिलाने के लिए
बच्चों के लिए किताब व पेंसिल
इसी में हो जाता है
सारी कमाई का हिसाब
और इसी सपना में भूल जाता है
की वह जननायक के भीड़ में
कितना दबा हुआ है !
7 टिप्पणियाँ
बहुत ही गहन व मार्मिक रचना, सच्चाई में पगी, लाग-लपेट से दूर असलियत का भान कराती
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहन व मार्मिक रचना, सच्चाई में पगी, लाग-लपेट से दूर असलियत का भान कराती
जवाब देंहटाएंरचना धर्मिता में संलग्न रचनाकार उम्मीदों की अलख
जवाब देंहटाएंजगाने की लिए तथा लोक कल्याण, राष्ट्र हितादि की भावना हो जो समाज लोक कल्याण का संदेश और जनमानस को जगाने का भी कार्य करे | संदेश, कर्तब्य की प्रेरणा,परिस्थितियों से टकराने की सामर्थ्य होता है वह साहित्य प्राणवान है | आप को रचना के लिए बधाई !
सबप्रथम साहित्य शिल्पी का आभर व्यक्त करता हूँ, साधुवाद
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, आभार
जवाब देंहटाएंसुखमंगल सिंह जी, आभार
जवाब देंहटाएंsantosh kumar ji धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.