दिल में छुपे है घोर अंधेरे
कोई तो आकर दीप जलाए.
यादों के साए मीत है मेरे
कोई उन्हें आकर सहलाए.
कोई तो आकर दीप जलाए.
यादों के साए मीत है मेरे
कोई उन्हें आकर सहलाए.
टकराकर दिल यूँ है बिखरा
बनके तिनका तिनका उजडा
चूर हुआ है ऐसे जैसे
शीशे से शीशा टकराए.
चोटें खाकर चूर हुआ वो
जीने पर मजबूर हुआ वो
जीना मरना बेमतलब का
क्या जीना जब दिल मर जाए.
चाह में तेरी खोई हूँ मै
जागी हूँ ना सोई हूँ मैं
सपनों में आकर वो ऐसे
आँख मिचौली खेल रचाए.
तू जो मिले तो नैना बरसे
कोई तो मन की प्यास बुझाए
काली घटा तो आए जाए.
2 टिप्पणियाँ
सुंदर गीत है
जवाब देंहटाएंनमन आदरणीया देवी नांगरानी जी को
सादर
ॐ
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचना
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.