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कोई तो आकर दीप जलाए [गीत] - देवी नागरानी


दिल में छुपे है घोर अंधेरे
कोई तो आकर दीप जलाए.
यादों के साए मीत है मेरे
कोई उन्हें आकर सहलाए.

टकराकर दिल यूँ है बिखरा
बनके तिनका तिनका उजडा
चूर हुआ है ऐसे जैसे
शीशे से शीशा टकराए.

चोटें खाकर चूर हुआ वो
जीने पर मजबूर हुआ वो
जीना मरना बेमतलब का
क्या जीना जब दिल मर जाए.

चाह में तेरी खोई हूँ मै
जागी हूँ ना सोई हूँ मैं
सपनों में आकर वो ऐसे
आँख मिचौली खेल रचाए.

तेरे मिलन को देवी तरसे
तू जो मिले तो नैना बरसे
कोई तो मन की प्यास बुझाए
काली घटा तो आए जाए.

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