
कोख में आने से
अब तक
तुम्हारा स्पर्श,
अहसास
चहुँ ओर बिखरी
तुम्हारी यादें,
तुम्हारी खनकती हँसी,
तुम्हारी शरारतें,
रचनाकार परिचय:-
फिर कई तरह की
मनुहारें,
तुम्हारे लिये खुदा से
भीख माँगना व तुम्हें
पाना,
तुम्हारे बिछोह की
कल्पना मात्र से काँप
जाना याद है मुझे
आज तुम चली गई
सुना है पराई हो गई
पर मेरा मन नहीं
स्वीकारता, क्यूँकि आज भी
धड़कता है मेरा दिल
सिर्फ तेरे लिये,
सिर्फ तेरे लिये।
अब तक
तुम्हारा स्पर्श,
अहसास
चहुँ ओर बिखरी
तुम्हारी यादें,
तुम्हारी खनकती हँसी,
तुम्हारी शरारतें,
शबनम शर्मा,
अनमोल कुंज,
पुलिस चौकी के पीछे,
मेन बाजार, माजरा, तह. पांवटा साहिब,
जिला सिरमौर, हि.प्र. – 173021
मोब. - 09816838909, 09638569237
मनुहारें,
तुम्हारे लिये खुदा से
भीख माँगना व तुम्हें
पाना,
तुम्हारे बिछोह की
कल्पना मात्र से काँप
जाना याद है मुझे
आज तुम चली गई
सुना है पराई हो गई
पर मेरा मन नहीं
स्वीकारता, क्यूँकि आज भी
धड़कता है मेरा दिल
सिर्फ तेरे लिये,
सिर्फ तेरे लिये।
2 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता है। ये पक्तियाँ बहुत ही सुन्दर लगीं
जवाब देंहटाएंतुम्हारे बिछोह की
कल्पना मात्र से काँप
जाना याद है मुझे
आज तुम चली गई
सुना है पराई हो गई
नज़र से नज़र की बात
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