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कोतवाल का फरमान [लघुकथा] - रामजी मिश्र 'मित्र'


बहुत दिन हो गए मान थाने नहीं गया। पत्नी रोज कहती जाओ आज शिकायत कर आओ पर उसका विश्वास टूट चुका था। वह बहुत अधिक भयभीत था। पुलिस के नाम से थर थर कापता था। एक बार वह थाने गया था तो कोतवाल ने उसे ही मारा पीटा और तो और दुबारा न आने की बात भी तो कही थी। पड़ोस के दबंग लोग उसका निकास बंद कर चुके थे। उसकी पत्नी जैसे ही घर से निकलती वह भद्दी गालियां शुरू कर देते। आखिर हार कर मान ने घर छोड़ने का मन बना लिया। पत्नी ने जब यह जाना तो कहा नई जगह रहोगे कहाँ। मान ने कहा देखा जाएगा। वह घर छोड़ कर निकल रहा था कि तभी पता चला कि नए कोतवाल आएं हैं। उसकी पत्नी लगातार इस पर दबाव बना रही थी। आखिरकार वह हिम्मत बाँध पुलिस के पास पहुँच गया। 

कोतवाल साहब सच में नए थे। बड़े प्यार से बिठाया सब बात पूँछी। अगले दिन घर आने का अस्वासन देकर उसे भेज दिया। मान सुबह उठा तो देखा कोतवाल साहब आ चुके थे। वह विपक्षी के घर बैठ कर चाय पी रहे थे। वह देख कर चौक सा गया। कोतवाल ने उसे देखा और हँसी वाला चेहरा तुरंत गंभीर हो उठा। मान को डांटने के अंदाज में बुलाया और चार थप्पड़ रसीद कर दिए। कोतवाल ने जोर से चिल्लाकर कहा सुन मेरा फरमान तुझे कुत्ते की मौत दूंगा अगर दुबारा शिकायत की। कोतवाल से वह न्याय पा चुका था। 

सब बात और पडोसियो के द्वारा मान की पत्नी तक पहुची। उसने फैसला किया वह न्याय पाकर रहेगी। मान की पत्नी पुलिस के एक बड़े अधिकारी के पास गयी और सब कहानी कह डाली। वह पुलिस अधिकारी उसकी तरफ देख कर बोले जाइए मैं दिखावा लेता हूँ क्या मामला है। अगले दिन वह कोतवाल फिर आ गए गालिया बकी और बोले ऊपर शिकायत करता है कहाँ है मान के बच्चे। मान और उसकी पत्नी घर छोड़ कर जा चुके थे। मान की पत्नी ने घर को सस्ते में बेंच कर वहां से मुक्ति पा ली थी। 

इधर कोतवाल अब मान को ढूंढ रहे थे। उसके बिना उनकी जांच अधूरी जो थी। वह उसके दरवाजे पर गए और देखा कि बाहर एक पत्र चिपका था। उस पर लिखा था मुबारक हो कोतवाल आप जीत गए। आगे लिखा था मैं जानती हूँ उस दिन इंसान नहीं वर्दी और चाय बोल रही थी और जो थप्पड़ मारे थे वह आपने नहीं नोटों के थे। हम आपको जरूर मिलेंगे लेकिन यहां नहीं न्यायलय की चौखट पर जहाँ तुम्हारे तानाशाह होने की असली परीक्षा होगी। आशा है आप परीक्षा की पूर्ण तयारी कर के आएंगे। कोतवाल साहब पचासों गालियां बकते हुए थाने वापस चले गए। 

थाने जाकर उन्होंने मान पर कई मुक़दमे लिख दिये। कोतवाल ने उसे एक अपराधी घोसित कर दिया था। कुछ दिन बाद दरोगा को पता चला कि मान का पता लग गया है वह गाँव छोड़ते समय एक दुर्घटना का शिकार हुआ था जिसमे उसके दोनों हाँथ कट गए थे। उस पर दर्ज मुक़दमे में लिखा था कि उसने कोतवाल पर पिस्तौल तान दी थी। तभी कोतवाल को एक नोटिस आ गयी जिसमे उनके विरुद्ध दर्ज केस का उल्लेख था जो मान की पत्नी ने न्यायालय से दर्ज कराया था। अब कोतवाल जान चुका था की झूंठ जल्द सच से हारने वाला है।

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