किशोरवय नीरज ने चहकते हुए माँ से पूछा "माँ मेरे जन्म पर
दादी ने सारे शहर में लड्डू बटवाए थे ना और दादाजी ने
किन्नरों को इक्यावन हजार नकद व सोने की चेन दी थी |

रचना व्यास मूलत: राजस्थान की निवासी हैं। आपने साहित्य और दर्शनशास्त्र में परास्नातक करने के साथ साथ कानून से स्नातक और व्यासायिक प्रबंधन में परास्नातक की उपाधि भी प्राप्त की है।
ताईजी कह रही थी कि ताउजी ने नाइन को सोने की अंगूठी दी थी और पिताजी ने तो वार -फेर में ही पूरे बीस हजार खर्च कर दिए | " इन बातों पर इठलाता हुआ नीरज पूछने लगा "माँ , सबसे ज्यादा उदारदिल कौन है ?" "बेटा ! तुम मेरे विवाह के पांच साल बाद हुए , यदि तुम्हारे नाना मेरी माँ के गहने गिरवी रखकर मेरा इलाज न करवाते तो मैं आज इस घर में नहीं होती | " उसने बुदबुदाते हुए आँखे पोंछ ली |
1 टिप्पणियाँ
अच्छी और मर्मस्पर्शी लघुकथा ....!
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