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मांगते रहे [गज़ल]- उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'

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उम्रभर हम घर से आसरा मांगते रहे
बडे-बुजुर्गो से सदा दुआ मांगते रहे


उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'रचनाकार परिचय:-



नाम- उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप' जन्मतिथि- 25/07/1991 शिक्षा- एम.ए, नेट लोक प्रशासन सम्प्रति- प्राध्यापक प्रकाशन- भारतवर्ष की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं की रचनाओं का प्रकाशन राजस्थानी काव्य संग्रह 'राजस्थानी मां आपणी' 2013 प्रकाशित संपर्क- जागरवाल सदन ब्रहमपुरी मोहल्ला लूनी जंक्शन-342802 जिला-जोधपुर (राज.) मोबाईल- 08560994248

मंजिल की चाह थी मुझे दोस्तों
इसीलिए हर राहगीर से पता मांगते रहे

भटके जब मंजिल की पगडंडी से
खुदा से सही रास्ता मांगते रहे

गलतियां चाहे अनजाने में हुई हो
फिर भी हम सबसे सजा मांगते रहे

जब भी कुछ मांगा शायरो ने
तो महफिल में हमजुबां मांगते रहे

हर मुमताज को ताज की ख्वाहिश हैं
जब भी इबादत की शाहजहां मांगते रहे

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