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निरादर का बदला [लघुकथा] - सविता मिश्रा

"दिख रहीं हैं न चाँद सितारों की खूबसरत दुनिया|" आकाश में अदिति को टेलेस्कोप पर उसके शिक्षक दिखातें हुये बोलें |

"देखो जो ये सात ग्रह पास पास हैं , वो 'सप्त ऋषि' हैं और जो सबसे चमक दार तारा उत्तर में हैं , वह 'ध्रुव तारा' | जिसने अपने निरादर का बदला, तप करके सर्वोच्च स्थान को पा कर लिया| "

"सर हम अपने निरादर का बदला कब लें पाएंगे? 

हर क्षेत्र में दबदबा कायम कर चुकें हैं फिर भी ध्रुव क्यों न बनें अब तक। " झुका सर उठाते हुये बोली। 

शिक्षक का गर्व से उठा सर झुक सा गया।



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सविता मिश्रा
 o9411418621

w/o देवेन्द्र नाथ मिश्रा (पुलिस निरीक्षक )
फ़्लैट नंबर -३०२ ,हिल हॉउस
खंदारी अपार्टमेंट , खंदारी
आगरा
२८२००२

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