बस स्टैड पर नहीं रूककर कुछ आगे रूकी घर जाने की जल्दी मे मैं भी और सवारी की तरह दौडने लगा,खलासी के जल्दी करो ,जल्दी करों के शोर में कुछ ज्यादा ही तेज दौड गया । बस तो पकड ली लेकिन हॉफ गया । मेरी हालत देखकर एक युवती ने मुझे अपनी सीट दे दी । मैंने उसे थैंक्स कहा सोचने लगा किसी संस्कारी परिवार की लगती है । जिस स्टॉप पर मैं उतरा वह भी वहीं उतरी हम पैदल ही अपने घर को चलने लगे कुछ तनाव था इसलिए मैंने उससे कुछ बात नहीं की लेकिन गौर से उसे देख चुका था 20-22 की है अच्छे नाक-नक्शे है और रंग मेरी पसन्द का श्याम और उरोज भी बडे है । कुल मिलाकर मुझे अच्छी लगी ।

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बस में सफर करते हुए,आफिस मे काम करते हुए कितनी ही लडकियां मुझे अच्छी लगी है लेकिन उससे क्या ? अब 55 की उम्र में यह सब पहुंच से बाहर हो गई है भीतर से लगता भी है कि इस उम्र से बडी तो मेरी बेटी होती अगर शादी कि होती,समय पर की होती फिर सोचता मैं तो आधुनिक समय का हूँ क्यों आदर्श के इस बोझ को ढोता रहॅू और कितने साल से ढो भी तो रहा हूँ बस अब नहीं । मैंने उसे फिर से देखा वह मुझे ही देख रही थी मैंने मुस्कान दी तो वह भी हंस दी मुझे वह फिल्मी डॉयलाग याद आ गया ’हॅसी तो फसी ’ दूसरे दिन बस पकडते वक्त ही वह दिख गई मुस्कान का आदान-प्रदान हुआ। आकर्षक लग रही थी वह मुझसे पहले बस मे चढ गई उसे भी सीट नहीं मिली तो मुझे कहा से मिलती और हमारे बीच कई सवारियां थी उसने कान में मोबाईल का स्पिकर लगा रखे थे यह आज की युवा पीढी की आदत है सारी दुनिया से बेखबर रहते है अपने में मस्त । अपने दूरस्थ से बाते करते या गीत सुनते । मेंरा मन किया की उसके कान मे फुसंफुसा दू ’मैं तेरा गीत हू तु मेरी संगीत ’ पर कभी सोचा भी सच होता है मैंने तय किया की इस सोचे को सच मे बदलकर ही रहूंगा । वापसी के वक्त वह नहीं दिखी मैंने एक बस छोड भी दी पर वह नहीं आई हो सकता है आज हॉफ डे पर रही हो हो सकता है उसके कॉलेज में पीरियड नहीं हो मुझे तो यह भी नहीं पता था की वो काम क्या करती है ? पर मेरी कल्पना की उडाने किसी 20-25 के युवा की जैसी थी । सुबह मैंने सेविंग की आफटर लोसन लगाया जो अक्सर में नहीं लगाता जब किसी पार्टी में जाता हॅू तभी लगाता हॅू दर्पण मे अपने आपको कई बार देखा मुझे लगा की भले ही मैं 55 का हूँ लेकिन लगता 40 का ही हूँ । वैसे भी रोजाना की जोगींग के कारण मैं फिट ही हॅू पेट तो कतई नहीं निकला है फिर मेरी लम्बाई भी अच्छी है और बाल भी अभी काले ही है वैसे भी मैं कई वर्षो से महंदी लगाता आ रहा हॅू शायद इसी दिन के लिए मुझे भगवान ने जवान बनाए रखा है । अपनी बेहतरीन ड्रेस मेसे एक पहनकर मैं आफिस जाने को निकला बस स्टॉप पर वह दिख गई दिल बाग-बाग हो गया मेरी तैयारी सार्थक हो गई मैंने मुस्करा कर उसको देखा उसका भी मुँह चौडा हो गया जैसे वह भी मुझे देखकर खुश हो गई हो मैंने हॅलो कहा तो उसने हॉय कहा । बस आ गई आज हम पास-पास ही खडे हो गए वह मेरे आगे थी उसके बॉलों से शेम्पू की खुशबू तैर रही थी मेरा मन किया की छू लु लेकिन हिम्मत नहीं हुए बस के उपर लगे पाईप का सपोर्ट लेने को हाथ उपर किया तो उसकी उंगलियों से टकरा गया उसने हटाया नही तो मैंने दों तीन उंगलियां छूआ दी बहुत गर्म है उमर का असर है जवानी फुटी जा रही है उसके पास की सीट एक सवारी के उठने से खाली हुई तो वह बैठ गई फिर मुझे देखकर कुछ सरक गई और बोली ’ आप भी बैठ जाईएं ’ मैंने मत चुके को मानते हुए अपनी टीका ही दी । फिर मैंने गला साफ किया और पुछा ’ सर्विस करती हो क्या ?’ उसने हॉ कहा और स्वयं ही बता दिया सब कुछ किसी मोबाईल कम्पनी मे है हाल ही मैं एमबीए किया है और लगी है काम पर । फिर अपनी कम्पनी के बारे में विस्तार से बताने लगी । मैं अपने बारे में बताना चाहता था लेकिन बस स्टॉफ आ गया वह बाई करते हुए निकल गई । वापसी पर उसके मिलने की उम्मीद थी और वह मिल भी गई लेकिन हमारी बसों मे भीड इतनी होती है की दो प्रेमी एक साथ एक सीट पर कभी नहीं बैठ पाते और सवारियों के आगे-पीछे करते रहने से पास-पास खडे भी नहीं रह पाते है । अब तो यह मेरा रूटींन हो गया है रोजाना नये कपडे पहनता हॅू परफयूम लगाता हॅू और जूते धोकर पहनता हॅू कही जूते उताने ना पडे इस लिए मोझे भी नये ले आया हूँ पुराने वालों के अंगुठे मे छेद हो गए है मैंने रूमाल भी नये खरीद लिए है । बस मे रोजाना के मिलने जुलने बातचीत करते रहने से मैं उसके बारे में बहुत कुछ जान गया हॅू उसके पिताजी सरकारी कर्मचारी है मां गृहणी है एक छोटा भाई है जो स्कूल में पढ रहा है और वह कालोनी की आगे वाली गली में रहती है । क्योंकी वही ज्यादा हॅसती है बात करती है फिर भी मैंने उसे बता दिया की मैं भी उसकी की कॉलोनी मे रहता हॅू मेरा अपना फ्लैट है और अकेला हूँ । इस बात पर मैंने जोर भी दिया था । जब से उसको यह बताया है तब से अपने फलेट की सफाई का पुरा ध्यान रखता हॅू कभी भी वह यहा आ सकती है उसे मेंरी जीवन शैली सुरूची पुर्ण लगनी चाहिए मैं अपनी बैडशीट बदलता भी रहता हॅू उसके पसन्द के हल्के कलर की दो-चार लाकर रख भी दी है । उसकी रूचि राजनीति में होने से हमारे मघ्य ज्यादातर पार्टी पोलटिक्स की बाते होती है दूसरे युवाओं की तरह उसको भी भाजपा के मोदी से बहुत उम्मीद है शायद वह रोजगार के अवसर देगा युवा ज्यादा से ज्यादा सेलेरी पर काम कर सकेंगे उसको लगता भी है कि जापान,चीन के निवेश के प्रस्तावों से काम प्राप्त होगा मोदी अच्छा कर रहे है । मेरी रूची का विषय तो वह है फिर भी मैंने टीवी देखना, अखबार पढना शुरू कर दिया है जिससे उसकी उम्मीद पर खरा उतरू उसकी रूची मे अपनी मिलाकर उसके योग्य बन सकू । अब मैं उसका हाथ छू भी लेता हॅू तो भी वह बूरा नहीं मानती कई बार तो वह खुद ही छू लेती है मुझे कई बार जब हम बस मे सीट शेयर करते है वह दो की सीट पर तीन होने लगती है तब पीछे से उसके नरम,गरम उरोज मेरी पीठ को लगते है तब मन करता हॅू अभी उसको प्रस्ताव कर दॅू लेकिन रूक जाता हॅू । आजकल मेरे चेहरे की ताजगी को देखकर सहकर्मी मजाक भी करते है राज जानने को उत्सुक होते है कुछ कमेंटस् भी करते है जवानी फुट पडी है जैसे हल्की बातें भी करते है मुझे भी अच्छा लगता है मेरे अधिनस्थ भी मुझसे खुश है अब मैं उनपर झल्लाता नहीं हॅू गलती करने पर समझाता हॅू और कभी-कभी चाय भी पिला देता हॅू । अक्सर प्यार में ऐसा हो ही जाता हैं । मेरा अधिनस्थ युवा रोहित मेरे अन्दर के बदलाव पर बहुत ही खुश है उसका जीवन तो खुशियों से भर गया है क्योकि मैंने अपने स्टाफ मे सबसे ज्याद नाराजगी, गुस्सा और एक्शन उसपर ही लिया है । उसका काम वैसे तो अच्छा है लेकिन वह मेरे एक परिचित के बेटे की जगह नौकरी पा गया है मैंने हमारे साहब को कई तरह से लालच दिया था लेकिन इस रोहित का लालच,दबाव काम कर गया इसलिए भी मुझे इस पर बहुत गुस्सा है उसका स्वभाव अच्छा है उसने कभी मेरे आदेश-निर्देश का उल्लंघन नहीं किया लेकिन मुझे उसके काम मे गलतियां दिख ही जाती है और कभी कोई मौका मैं नहीं छोडता उसको नीचा दिखाने का । लेकिन जब से वह मेरी जिन्दगी में आई है मैंने रोहित की तरफ से ध्यान देना ही कम कर दिया है प्यार मे ऐसा होता है यह डायलाग मैंने हिन्दी फिल्मों मे सुना है । ओ, मैं आपको उस लडकी का नाम बताना तो भूल ही गया हा उसका नाम सपना है सचमुच का मेरा सपना जो पूरा होने के करीब ही है मैं उसके साथ रात गुजारने के सपने देखने लगा हॅू अखबारों व टीवी चैनल पर कंडोम के विज्ञापन मेरी नजर मे रहने है खास कर सनी लियोने को एड तो मेरे मे अंगडाई ले आता है और अखबारों से मैंने जापानी तेल,शक्तिवर्द्धक गोलियों के बारे मे विस्तार से पढ लिया है उनकी कटिंग भी निकाल रखी है जरूरत तो पड ही सकती है । एक निकट के सहकर्मी से सेक्स पर चर्चा की उसने सही सलाह भी दी लेकिन बात पूरे स्टाफ में चली गई सभी मेरी तरफ देखकर मंद-मंद मुस्कराने लगे है सोचते होंगे बुढ्ढे को जवानी का जोश चढा है लेकिन मैं यह मानता हूँ की बुढापा तन का नहीं मन का होता है । मैं तो दिमाग से अभी भी ताजगी भरा हॅू एक रात में तीन-चार बार तो निपट ही सकता हॅू । वैसे भी टीवी सिरियल मे बताया ही जाता है कि सेक्स मे आदमी तभी कमजोर होता है जब उसका मस्तिष्क कमजोर करता है । आजकल मैंने अंग्रेजी फिल्में भी देखना शुरू किया है जिसमे कभी-कभार कुछ सिन दिख जाते है तब मैं अपने भीतर उत्तेजना का अनुभव करता हॅू । कई बार जब हम साथ-साथ कॉफी हाउस गए या किसी क्लब में गए तब मैंने उसके शरीर के स्पर्श को अपने भीतर अनुभव किया है जब हम मॉल मे साथ-साथ थिरकते है और देह से देह टकराती है तब भी उत्तेजना को देखा है उसके चेहरे पर भी शर्म की लाली देखी है और हमे नाचते देखती कई आंखो को पढकर मुझे लगता कि वे हमारी जोडी देख दंग है शायद हमारी जोडी को परफेक्ट मान रहे है। कई युवाओं के चेहरे पर मैंने अपने लिए ईष्या भी देखी है । एक दिन बस में जब हम दोनों पास-पास बैठे थे तब उससे भावी जीवन पर बात की थी मुझे अच्छा लगा था की वह मेच्योरड पति चाहती है जिसका अपना फलेट हो नौकरी पक्की हो अच्छा वेतन मिलता हो और उसका ध्यान रखे । मुझे लगा की मैं उसके लिए परफेक्ट हूँ लेकिन मैं उससे बात नहीं कह पाया । मुझे अफसोस है कि इस उम्र में भी मैं किसी को प्रपोज नहीं कर सकता । अब तक मुझमें हिचक है । मैंने एक-दो बार बात-बात मे उसे अपने फलेट पर चाय-कॉफी ,ठंडा के लिए आमंत्रित भी किया लेकिन उसको कुछ ना कुछ जरूरी काम निकल ही आता है कभी मॉ इंतजार कर रही होगी, पिताजी की दवाई लेते जाना है भाई की परीक्षा चल रही उसे पढाना है....... । मेरे सपने को सपना पंख लगाना चाहती है पर क्या करे उसको परिवार पर भी ध्यान देना ही है मुझे भी उसकी यह बात अच्छी लगती है । ऐसा नहीं है की मैंने उसके फलेट पर जाने की इच्छा नहीं की हो कई बार उसके अपार्टमेंट के सामने से गुजरा हॅू लेकिन अन्दर नहीं जा सका सोचता की उसके माता-पिता से क्या बात करूंगा वे मेरा स्वागत करेंगे या नहीं । एक रात मैंने उसको कॉल किया । हॉ भाई उसका मोबाईल नम्बर है मेरे पास इतना तो कर ही लिया है उसकी कालर टान हम होंगे कामयाब...... से उत्साहित हो गया सच मे हम सफल तो होंगे ही । कुछ देर बाद उसकी घंटी बजी मैंन छट से उठाया दूसरी तरफ से मधुर स्वर था मैं बाथरूम मे थी इसलिए....फिर बहुत देर तक बातें होती रहीं मोदी की अमेरिका यात्रा और वहा से मिलने वाले निवेश का वह सपना देख रही थी । हमारे मध्य यह सब चलते -चलते चार माह हो गए थे मैंने अपनी बुढ्ढी मॉ को कहलवा दिया था अब वो मेरे लिए विधवा,परित्यकता ना देखे मैं एक दम ताजा से विवाह करने वाला हॅू और जल्दी ही उससे आर्शीवाद लेने आने वाला हॅू । कल रात मैंने तय कर लिया की आज तो मैं उससे बात कर ही लुंगा मेरा दुर्भाग्य जो हमेशा ऐसे मामलों में मेरे साथ रहता है वह आते-जाते बस में नहीं मिली क्योंकि मैं जिद्दी हॅू और तय कर लिया वह करता ही हॅू निश्चित दिन करता ही हॅू इसलिए मैंने हिम्मत कर ली उसके फलेट मे जाने की । वैसे भी एक ना एक दिन तो उसके माता-पिता से सामना करना ही है तो आज क्यूं नहीं मैंने धडकते दिल से उसके फलेट की कालबेल बजाई । मन कर रहा है की सच्चाई को यही अधुरा रहने दू और पाठक को तय करने दूं की क्या हुआ होगा लेकिन फिर सोचता हॅू की सच लिख ही दू आखिर मेरे जैसे खुले दिल के ,आधुनिक को यह बताना ही चाहिए की क्या हुआ होगा वो पिछडे हे जो ऐसे मे आगे की बातें नहीं बताते है । तो मैंने कॉलबेल बजाई दो बार डिंग-डांग हुआ फिर कुत्ते के भौकने की आवाज हुई और रोहित ने दरवाजा खोला मैं उसे वहा देखकर और मैं उसे वहा देखकर दंग रह गए घबराकर उसने तेजी से दरवाजा बंद कर दिया । भीतर से आवाज आई सपना की थी कौन था ? मैं चुपचाप ,थके पैर सिढियां उतर गया ।
1 टिप्पणियाँ
Good बहुत ही अच्छा अनुवाद किया है आपने ! आपको धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.