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नहीं करते [ग़ज़ल] - प्राण शर्मा

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हर किसी की बातों में आया नहीं करते
खामखा ही ख़ुद को उलझाया नहीं करते


प्राण शर्मा रचनाकार परिचय:-



प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं।

आप के "गज़ल कहता हूँ' और 'सुराही' काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं।

साथ मिल कर जो भी मुस्काया नहीं करते
वो किसी की आँखों को भाया नहीं करते

माना , कुछ बातों पे शरमाना ही पड़ता है
साधु की बातों पे शरमाया नहीं करते

हर किसी से प्यार की ठंडक नहीं मुमकिन
सब शज़र ऐ दोस्तो छाया नहीं करते

आप जैसे थे , रहो वैसे तो अच्छा है
घर बदलने से बदल जाया नहीं करते

कल ही तो वादा किया था आपने हम से
एक दिन में ही मुकर जाया नहीं करते

सोचिये के दिल पे गुज़रेगी किसी के क्या
साथ तज के गुस्से में जाया नहीं करते

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3 टिप्पणियाँ

  1. बढ़िया ग़ज़ल. इसे पढ़कर एक पुराना गीत याद आ गया 'ख्यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते'

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  2. हर किसी से प्यार की ठंडक नहीं मुमकिन
    सब शज़र ऐ दोस्तो छाया नहीं करते
    ज़मीनी हकीकत से भरा शेर ... बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है प्राण साहब की ... हमेशा की तरह ताज़ा झोंके जैसे ...

    जवाब देंहटाएं

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