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काश मै खुदा होता [कविता]- पीयूष द्विवेदी

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बहुत जलन होती है,
आकाश में इतराते हुए,

पियुष द्विवेदी ‘भारत’रचनाकार परिचय:-

जन्म : २१ मार्च १९९४,
यूपी के देवरिया जिले में. वर्तमान स्थिति नोएडा.
शिक्षा व कार्य : स्नातक के छात्र. दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता आदि तमाम अखबारों में समसामयिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन.
ई-मेल : sardarpiyush24@gmail.com
मोब : 08750960603

अपनी पाँखे फैलाके,
उड़ती चिड़िया को देखकर |
नहीं सह पाता हूँ,
उसके पाँखों को,
उसके उड़ने को,
और उसकी,
इस निश्चिन्त स्वतंत्रता को |
पर यही मन,
दुखी भी होता है,
उन्ही पाँखों को फड़फड़ाते हुवे,
उड़ने का विफल प्रयास करते देखकर
किसी शिकारी के आल में |
समझ नहीं आता,
कि क्या हूँ मै?
आस्तिक या नास्तिक?
इसी भ्रम में सोचता हूँ,
कि काश मै खुदा होता,
तो मिटा देता,
स्वतंत्रता और परतंत्रता,
दोनों को,
और मिट जाती वो समस्या,
जो मुझमे भ्रम पैदा करती है,
कि क्या हूँ मै?

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