[कविता 2007 में लिखी थी जब एक ब्रिटिश पादरी नें स्टेटमेंट दिया था कि "योग गैर ईसाई है"। आज हिन्दुस्तान में इसे ले कर हो रही बहसबाजी में यह कविता फिर प्रासंगिक हो गयी। हँसना मना नहीं है।]
सुप्रसिद्ध लेखक राजीव रंजन प्रसाद का जन्म बिहार के सुल्तानगंज में २७.०५.१९७२ में हुआ, किन्तु उनका बचपन व उनकी प्रारंभिक शिक्षा छत्तीसगढ़ राज्य के जिला बस्तर (बचेली-दंतेवाडा) में हुई। आप सूदूर संवेदन तकनीक में बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से एम. टेक हैं।
विद्यालय के दिनों में ही आपनें एक पत्रिका "प्रतिध्वनि" का संपादन भी किया। ईप्टा से जुड कर उनकी नाटक के क्षेत्र में रुचि बढी और नाटक लेखन व निर्देशन उनके स्नातक काल से ही अभिरुचि व जीवन का हिस्सा बने। आकाशवाणी जगदलपुर से नियमित उनकी कवितायें प्रसारित होती रही थी तथा वे समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुईं।
उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकों "आमचो बस्तर", "मौन मगध में", "ढोलकल", "बस्तर के जननायक", "तू मछली को नहीं जानती" आदि को पाठकों का अपार स्नेह प्राप्त हुआ है। बस्तर पर आधारित आपकी कृति "बस्तरनामा" अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है। आपकी "मौन मगध में" के लिये आपको महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय राजभाषा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकों "आमचो बस्तर", "मौन मगध में", "ढोलकल", "बस्तर के जननायक", "तू मछली को नहीं जानती" आदि को पाठकों का अपार स्नेह प्राप्त हुआ है। बस्तर पर आधारित आपकी कृति "बस्तरनामा" अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है। आपकी "मौन मगध में" के लिये आपको महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय राजभाषा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
वर्तमान में आप सरकारी उपक्रम "राष्ट्रीय जलविद्युत निगम" में कार्यरत हैं। आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में हैं।
0 टिप्पणियाँ
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.