मेरा शहर खाँस रहा है
सुगबुगाता हुआ काँप रहा है
सुगबुगाता हुआ काँप रहा है
नाम - दीप्ति शर्मा
जन्म तिथि - 20 फरवरी
जन्म स्थान - आगरा
प्रारम्भिक शिक्षा - पिथौरागढ़ 6 क्लास तक .. फिर 2 साल भीमताल .. और अब आगरा में हूँ
हाल ही में बी टेक ख़तम हुआ है वर्ष 2012 में .
पिता जी - सरकारी नौकरी में हैं जल निगम में अभियन्ता
माता जी - गृहणी हैं
मैं बचपन से ही लिख रही हूँ |
adress - 72, ADAN BAGH EXTENTION DAYAL BAGH AGRA 282005 (U.P)
blog- deepti09sharma.blogspot.com
जन्म तिथि - 20 फरवरी
जन्म स्थान - आगरा
प्रारम्भिक शिक्षा - पिथौरागढ़ 6 क्लास तक .. फिर 2 साल भीमताल .. और अब आगरा में हूँ
हाल ही में बी टेक ख़तम हुआ है वर्ष 2012 में .
पिता जी - सरकारी नौकरी में हैं जल निगम में अभियन्ता
माता जी - गृहणी हैं
मैं बचपन से ही लिख रही हूँ |
adress - 72, ADAN BAGH EXTENTION DAYAL BAGH AGRA 282005 (U.P)
blog- deepti09sharma.blogspot.com
सडांध मारती नालियाँ
चिमनियों से उडता धुआँ
और झुकी हुयी पेडों की टहनियाँ
सलामी दे रहीं हैं
शहर के कूबड पर सरकती गाडियों को ,
और वहीं इमारत की ऊपरी मंजिल से
काँच की खिड़की से झाँकती एक लड़की
किताबों में छपी बैलगाड़ियाँ देख रही है
जो शहर के कूबड पर रेंगती थीं
किनारे खड़े बरगद के पेड़
बहुत से भाले लिये
सलामी दे रहे होते थे।
कुछ नहीं बदला आज तक
ना सड़क के कूबड़ जैसे हालात
ना उस पर दौड़ती /रैंगती गाड़ियाँ
आज भी सब वैसा ही है
बस आज वक़्त ने
आधुनिकता की चादर ओढ़ ली है ।
3 टिप्पणियाँ
और वहीं इमारत की ऊपरी मंजिल से
जवाब देंहटाएंकाँच की खिड़की से झाँकती एक लड़की
किताबों में छपी बैलगाड़ियाँ देख रही है
अतीत की यादों की कशिश कभी कम नहीं होती... अच्छी अभिव्यक्ति!
इस सुंदर रचना हेतु दीप्ति जी को बधाई ...!
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति शहरी शब्द चित्र सचेत करता हैं ।
जवाब देंहटाएंछगन लाल गर्ग।
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.