मैंनें भगवान को देखा है।

राजाभाई कौशिक
आयुर्वेद मंदिर सालासर ,चुरू राजस्थान
फोन ----9414214338
आयुर्वेद मंदिर सालासर ,चुरू राजस्थान
फोन ----9414214338
पाने की चाह मे मंदिर की चौखट और शिर के बीच
तपी हुई जल तृप्त फूटती धरती
गलते बीज में से निकलते अंकुर की सफेदी में
मैंनें भगवान को देखा है।
प्रणाम की बन्द हथेलियों के बीच
आघात से बचाने उठ्ठे हाथ के उपरी मात्रा पर
दर्द पर सहलाने वाली हथेलियों के निचले हिस्से में
शूल को पकडकर निकालने वाकी चुमडी में
मैंनें भगवान को देखा है।
तपती धुप में पेडों की छाँव तले
उखडी सांसो के बैठने के साथ साथ
मस्तक से चलकर नाक से टपकते
पसीने की कमी में
मैंनें भगवान को देखा है।
तकदीर की लकीरों के हर मोड पर
पाने खोने की दौड मे भरपेट सुस्ताती अध्खुली आँखों
ओर शिकारी से छुट्कर छुप बैठे
शिकार की आती जाती सांस में
मैंनें भगवान को देखा है।
भूखे की नहर में दूर बैठे खाते की थाली में
दुखती आँख पर लेप लगाये जाने वाली चंदन की प्याली में
फोडा फूटकर मवाद से खाली हुए घाव की लाली में
मैंनें भगवान को देखा है।
आकाश जम्भाई और धरती की अंगडाई में
कडी भूख के बाद तृप्ती की ऊँघ में
करवटों के बाद आई नींद की गहराई में
मैंनें भगवान को देखा है।
रिहाई के इंतजार मे उनींदी आँखों के आश के आँसू में
दरिंदों की दरिंदगी के हद पार से आती चीखों के दर्द में
धमाकों के बाद छाये सन्नाटे में....
मैंनें भगवान को देखा है।
4 टिप्पणियाँ
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना ...बधाई ...!
जवाब देंहटाएंसच भगवान सर्वत्र है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
बेहतरीन रचना, (o)
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.