आज फिर मुझको सताने को तेरी याद आयी,
तुझसे महरूम दीवाने को तेरी याद आयी,
तुझसे महरूम दीवाने को तेरी याद आयी,
नाम -- अनुराग सिंह "ऋषी"
व्यवसाय -- शोध छात्र (Plant Pathology)
जन्म -- 12 अगस्त 1990
पता -- लखनऊ उ,प्र.
वर्तमान -- इलाहाबाद (छात्रावास)
रूचि -- कविताएँ,गज़लें लिखना, शोध करना
प्रकाशित रचनाएँ -- ज़िक्र , रोता रहा हूँ मै ( नव्या हिंदी साहित्य )
इमेल -- anu.007om@gmail.com
मोबाईल न. -- 09839109276
व्यवसाय -- शोध छात्र (Plant Pathology)
जन्म -- 12 अगस्त 1990
पता -- लखनऊ उ,प्र.
वर्तमान -- इलाहाबाद (छात्रावास)
रूचि -- कविताएँ,गज़लें लिखना, शोध करना
प्रकाशित रचनाएँ -- ज़िक्र , रोता रहा हूँ मै ( नव्या हिंदी साहित्य )
इमेल -- anu.007om@gmail.com
मोबाईल न. -- 09839109276
दिल-ए-मासूम पे इस दुनिया ने ढाए जो सितम,
दर्द दिल के ही भुलाने को तेरी याद आयी,
मन को बहलाना और समझाना है नही आसां,
मुझे ये राज़ बताने को तेरी याद आयी,
उसकी यादें ही मेरी आखिरी अमानत हैं,
हमें शायद ये जताने को तेरी याद आयी,
हम भले मुस्कुराए है सदा ही महफ़िल में,
मगर इस मन के विराने को तेरी याद आयी,
पहरों ख्वाबों को बुलाता हूँ आँख बंद किए,
मेरे मासूम बहाने को तेरी याद आयी,
टूटे ख्वाबों को खुद में ज़ज्ब किए बैठी है,
मुझे फिर आज रुलाने को तेरी याद आयी,
तेरे ही साथ बैठ हमने जो लिखी थी कभी
वो गज़ल आज सुनाने को तेरी याद आयी,
कतरा कतरा ही सही मर तो हम रहे हैं “ऋषी”
फिर एक कतरे को जलाने को तेरी याद आयी.
2 टिप्पणियाँ
खुबसूरत रचना ...ऋषि जी को बधाई ...!
जवाब देंहटाएंआदरणीय बहुत बहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.