एक गाँव में एक आदमी रहता था| वह आदमी पूरे गाँव में अन्धविश्वासी के नाम से मशहूर था| उसकी पत्नी उससे परेशान हो चुकी थी| जब कभी भी उस आदमी की पत्नी से दूध फेल जाता तो वह घबरा जाता और तुरंत मंदिर में जाकर पाठ करने लगता| कभी उसकी पत्नी से कोई काँच की चीज टूट जाये तो वह आग बबूला हो जाता| उसके इस व्यवहार के चलते पति–पत्नी में दूरियाँ बनती गईं| पत्नी अपना काम करती और उसका काम उसी को करने देती|
रचनाकार परिचय:-
आर्यन प्रताप राजस्थान स्थित भीलवाड़ा से हैं और वर्तमान में नौवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। लेखन में उनका यह आरंभिक प्रयास है।
उस आदमी को सफाई बहुत पसंद थी मगर दोनों के बीच दूरियों के कारण घर की सफाई भी नहीं हो पा रही थी क्योंकि पत्नी कहती कि अगर मैंने सफाई की और गलती से कोई काँच की चीज मुझसे टूट गई तो आप तो डाँटोगे ही, इसलिए मैं घर की सफाई नहीं कर सकती| और आदमी बोलता – जिस घर में आदमी सफाई करे, उस घर में लक्ष्मी और खुशियाँ कभी नहीं आ सकतीं| अब सफाई को लेकर भी दोनों के बीच में खूब बहस होती| आखिर में उस आदमी को काम वाली बाई रखनी पड़ी| मगर काम वाली बाई भी उसके अन्धविश्वास के चलते वहाँ ज़्यादा दिन न रह सकी|
एक दिन उसके घर में चोरी हो गई| पत्नी के पुलिस को फ़ोन करने को कहने पर वह बोला, “रूको। जब कभी भी घर में कोई बुरा काम हो जाये तो आधे या एक घंटे बाद ही कोई दूसरा काम करना चाहिए|” पत्नी अपना माथा पकड़कर वहीं बैठ गई| उसकी पत्नी रोज यही सोचती कि कब उसके आदमी का अन्धविश्वास छूटेगा| पर कहते हैं कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं| एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उस आदमी का सारा अन्धविश्वास दूर हो गया|
हुआ कुछ यूँ कि कुछ दिनों से उस आदमी के घर के पीछे स्थित नारियल के झुरमुट से एक बच्चे की रोने की आवाज आती थी| इससे वह बहुत डर जाता| उसकी पत्नी कहती कि चलो देख के आते हैं कि आखिर क्या है वहाँ पर। पर वह उसे डाँट कर घर से बाहर निकलने ही नहीं देता| एक दिन वह एक तांत्रिक को अपने घर पे ले आया| तांत्रिक ने घर पे आते ही कहा कि इस घर पे और इसके आस-पास काली शक्तियों का बसेरा है| वह आदमी डर गया| उसने बोला, “बाबा! अब क्या करें?” बाबा ने कहा कि एक हवन करना पड़ेगा और इसमें २१ हजार रूपये खर्चा होगा| उसकी पत्नी ने उसे रोका पर वह नहीं माना| हवन होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ|
एक दिन उसके घर के पास से राजू निकला जो उन नारियल के पेड़ों से नारियल तोड़ता और उन्हें बाज़ार में बेचता था| वह बहुत परेशान दिख रहा था तो उस आदमी ने उससे कारण पूछा| राजू बोला, “मेरा मोबाइल नारियल के पेड़ों के पास कहीं गिर गया था, मिल ही नहीं रहा|” वह आदमी बोला, “राजू! वहाँ मत जाया कर। वहाँ काली शक्तियों का राज है। वहाँ रोज़ एक बच्चे की रोने की आवाज आती है|” यह सुनकर राजू जोर–जोर से हँसने लगा और बोला, “साब, आप कितने पागल हो। वह आवाज तो मेरे मोबाइल में से आती है। मैंने अपने मोबाइल में बच्चे की रोने की आवाज सेट की है|” आस पास खड़े लोग भी उस आदमी पर हँसने लगे और उस आदमी की गर्दन शर्म से नीचे झुक गई|
एक दिन उसके घर में चोरी हो गई| पत्नी के पुलिस को फ़ोन करने को कहने पर वह बोला, “रूको। जब कभी भी घर में कोई बुरा काम हो जाये तो आधे या एक घंटे बाद ही कोई दूसरा काम करना चाहिए|” पत्नी अपना माथा पकड़कर वहीं बैठ गई| उसकी पत्नी रोज यही सोचती कि कब उसके आदमी का अन्धविश्वास छूटेगा| पर कहते हैं कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं| एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उस आदमी का सारा अन्धविश्वास दूर हो गया|
हुआ कुछ यूँ कि कुछ दिनों से उस आदमी के घर के पीछे स्थित नारियल के झुरमुट से एक बच्चे की रोने की आवाज आती थी| इससे वह बहुत डर जाता| उसकी पत्नी कहती कि चलो देख के आते हैं कि आखिर क्या है वहाँ पर। पर वह उसे डाँट कर घर से बाहर निकलने ही नहीं देता| एक दिन वह एक तांत्रिक को अपने घर पे ले आया| तांत्रिक ने घर पे आते ही कहा कि इस घर पे और इसके आस-पास काली शक्तियों का बसेरा है| वह आदमी डर गया| उसने बोला, “बाबा! अब क्या करें?” बाबा ने कहा कि एक हवन करना पड़ेगा और इसमें २१ हजार रूपये खर्चा होगा| उसकी पत्नी ने उसे रोका पर वह नहीं माना| हवन होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ|
एक दिन उसके घर के पास से राजू निकला जो उन नारियल के पेड़ों से नारियल तोड़ता और उन्हें बाज़ार में बेचता था| वह बहुत परेशान दिख रहा था तो उस आदमी ने उससे कारण पूछा| राजू बोला, “मेरा मोबाइल नारियल के पेड़ों के पास कहीं गिर गया था, मिल ही नहीं रहा|” वह आदमी बोला, “राजू! वहाँ मत जाया कर। वहाँ काली शक्तियों का राज है। वहाँ रोज़ एक बच्चे की रोने की आवाज आती है|” यह सुनकर राजू जोर–जोर से हँसने लगा और बोला, “साब, आप कितने पागल हो। वह आवाज तो मेरे मोबाइल में से आती है। मैंने अपने मोबाइल में बच्चे की रोने की आवाज सेट की है|” आस पास खड़े लोग भी उस आदमी पर हँसने लगे और उस आदमी की गर्दन शर्म से नीचे झुक गई|
4 टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंसुभाशीष .....
जवाब देंहटाएंGreat aryan
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.