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डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल व यज्ञ शर्मा को विनम्र श्रद्धांजली

अभी कुछ देर पूर्व दिनांक १७.०८.२०१५ को ही यह दु:खद सूचना प्राप्त हुई कि डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल का लम्बे समय से कैंसर से लडते रहने के पश्चात निधन हो गया। बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार श्री कमल शुक्ला के बडे भाई श्री सुरेश चन्द्र शुक्ला इतिहास विषय के प्राध्यापक होने के साथ साथ अच्छे लेखक भी थे। छत्तीसगढ के ऐतिहासिक संदर्भों पर उनकी अठारह पुस्तकें प्रकाशित हैं। आप भारतीय इतिहास कॉग्रेस, महाकोशल इतिहास परिषद, छत्तीसगढ इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अनुसंधान परिषद तथा इतिहास अध्ययन मण्डल के सदस्य भी रहे थे। आपने अनेक शोध संगोष्ठियाँ आयोजित की हैं तथा आपका “स्वतंत्रता आन्दोलन में गोंड जनजातीय का योगदान” विषयक लघुशोध प्रबन्ध अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध हुआ है। डॉ. सुरेश चन्द्र शुक्ल को विनम्र श्रद्धांजलि!!
- श्री राजीव रंजन जी के फेसबुक से साभार...

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हिंदी व्यंग्य साहित्य को अपनी सशक्त रचनाओं से समृद्ध करने वाले यज्ञ शर्मा , हमारे बीच नहीं रहे। सुबह तीन बजे दिनांक १७.०८.२०१५ को वे हमें छोड़ गए। पिछले लगभग एक वर्ष से वे कैंसर से लड़ रहे थे और उनकी इस बीमारी के बारे में उनके कुछ परिचित ही जानते थे। वे नहीं चाहते थे कि उनकी बीमारी की सार्वजानिक चर्चा हो। व्यंग्य यात्रा के वे प्रशंसक एवं महत्वपूर्ण सहयोगी थे। वे कहते कि मैंने व्यंग्य रचना लेखन के अतिरिक्त व्यंग्य पर कभी आलोचनात्मक नहीं लिखा , व्यंग्य यात्रा ने मुझसे वह भी करवा लिया। नवभारत टाइम्स में वे बरसों खाली पीली नाम स्तम्भ लिखते रहे। अपनी रचनाओं को पुस्तकाकार करवाने के प्रति वे उदासीन थे। 2009 में डॉ प्रेम जन्मेजय जी उनसे उनके घर पर आग्रह मुझे अपना कोई व्यंग्य संकलन पढ़ने दें तो उन्होंने कहा कि मेरा तो कोई संकलन है ही नहीं। वे अवाक रह गये , विशवास नहीं हुआ कि वे सत्य कह रहे हैं। डॉ प्रेम जन्मेजय जी तत्काल उन्हें अपना संकलन तैयार करने को कहा तो पहले ना नुकुर की और भी मेरे आग्रह को कृपापूर्वक स्वीकार कर लिया। अनेक व्यंग्य रचनाओं का सृजन वाले इस महान व्यंग्यकार का पहला व्यंग्य संकलन तब प्रकाशित हुआ जब वे 68 वर्ष के हुए। प्रभात प्रकाशन से ' सरकार का घड़ा ' व्यंग्य संकलन प्रकाशित हुआ और यज्ञ जी को व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मनित भी किया गया। डॉ प्रेम जन्मेजय जी को उन्होंने जब अपने पहले संकलन का फ्लैप मैटर लिखने को कहा तो वे बहुत गौरवान्वित हुए। वे शरद जोशी परम्परा के श्रेष्ठ व्यंग्यकार थे। जिन्होंने ने उन्हें गद्य व्यंग्य पढ़ते सुना है वे उनकी इस प्रतिभा से भली भांति परिचित होंगे। इसी वर्ष उन्हें पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी सम्मान घोषित हुआ।
उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!!
- डॉ प्रेम जन्मेजय जी के फेसबुक से साभार...

करप्शन को भी कुछ कहने का मौका मिले  

हिंदुस्तान में करप्शन भोत परेशान हो गएला है। जिधर देखो उधर उसका बुराई होता रहता है। करप्शन का सबसे बड़ा शिकायत ए है कि उसका अक्खा आलोचना ईमानदारी का नजरिया से किया जाता है। कोई बहस में करप्शन का नजरिया को जगह नहीं दिया जाता। इस कारण, अपना विचार देश का सामने रखने का वास्ते करप्शन ने एक 'करप्शन सेमिनार' किया। देश का कोना-कोना से करप्शन का प्रतिनिधि लोग सेमिनार में आया। झारखंड से करप्शन आया, उत्तराखंड से करप्शन आया। कर्नाटक से आया, तमिलनाडु से आया। दिल्ली का प्रतिनिधि करप्शन सेमिनार का मुख्य संयोजक था।
मुख्य संयोजक ने विचार का मुख्य मुद्दा प्रस्तुत किया - 'मीडिया ने करप्शन का बारे में बड़ा भ्रम फैला रखेला है। लोग करप्शन को बड़ा दुष्ट चीज समझने लगा है। ये गलतफहमी दूर करना भोत जरूरी है। अबी टाइम आ गया है कि करप्शन बी अपना नजरिया सबका सामने रखे, ताकि देश में फैला गलतफहमी दूर हो जावे।' विमर्श में हर किस्म के करप्शन ने भाग लिया। सबका सम्मिलित राय से मीडिया को देने का वास्ते एक पेपर तैयार किया गया।
करप्शन का अपना नजरिया- देश में करप्शन पर भोत बहस होता है। पर, बहस हमेशा ईमानदारी का नजरिया से होता है। कोई बी बहस में करप्शन का नजरिया पेश नहीं किया जाता। मीडिया बार-बार भ्रम फैलाता है जैसे करप्शन बड़ा दुष्ट चीज है। ये भ्रम दूर करना जरूरी है। हम सब लोग को बताना चाहता है कि करप्शन कितना सार्थक चीज है।
1. करप्शन विकास का स्पीड बढ़ाता है। बिल्कुल बढ़ाता है। कारण, करप्शन का काम करने का रफ्तार तेज होता है। मीडिया ईमानदारी का राग बहुत अलापता है। लेकिन, आप अपना काम ईमानदारी से करवा के देखो, तबी पता चलेंगा कि काम कितना देर से होता है। ईमानदारी एक आलसी चीज है। हर बात में नियम देखता है। जितना देर में ईमानदारी नियम-कानून जांचता है, उतना देर में तो करप्शन एक काम निपटा कर, दूसरा हाथ में ले लेता है। जी हां, ईमानदारी विकास का गति धीमा करता है। और, आपने सुना ईच होएंगा - डिवेलपमेंट डिलेड इज डिवेलपमेंट डिनाइड !
2. करप्शन कर्मयोगी है। आपने गीता का वो श्लोक तो सुना ईच होएंगा - योग: कर्मसु कौशलम्। काम का कुशलता ईच योग है। काम करने का कुशलता में करप्शन का हाथ कोई नहीं पकड़ सकता। करप्शन कर्म में विश्वास करता है। आपको किधर बी, कबी बी कोई करप्ट आदमी आलसी नहीं मिलेंगा। वो जब कहेंगा, तब काम करके देंगा। एफिशिएंसी करप्शन का विशेषता है।
3. करप्शन एक में से दो विकास करता है ये बात करप्शन ने अनेक बार साबित किया है। मान लो, कोई जगह पुल बन रहा है। करप्शन सोचता कि इतना सारा पैसा सिरफ एक पुल में कायकू लगाना? इसमें से थोड़ा पैसा निकाल कर, दूसरा जगह एक बंगला बी बनवा देना मांगता है। पैसा उतना ईच लगेंगा, काम दो हो जाएंगा। तो, एक जगह पुल बनता है और दूसरा जगह बंगला। हुआ कि नहीं एक विकास में से दो विकास?
4. करप्शन दूर तक देखता है मान लो, एक सड़क बन रहेला है। सड़क से रोजगार बढ़ता है। करप्शन सड़क में रोजगार का संभावना बढ़ा देता है। वो सड़क में गड्ढा का व्यवस्था कर देता है, ताकि आगे चल कर गड्ढा भरने वाला लोग को बी काम मिले। सड़क बनाने से पहले, उसका मरम्मत का बारे में कोई दूरगामी दृष्टि वाला ईच सोच सकता है।
5. करप्शन अपना ढोल नहीं बजाता। सब लोग का मन में बड़ा भ्रम है कि करप्शन चोरी-छिपे किया जाता है। अगर चोरी-छिपे किया जाता तो मीडिया इतना खबर कैसे देता? वैसे हां, करप्शन चुपचाप काम करने में विश्वास करता है। उसको अपना बखान करना पसंद नहीं है। इस कारण, मीडिया से हमारा विनम्र निवेदन है कि हमारा पीछा छोड़ देवे।
ये निवेदन का बाद बी अगर मीडिया हमारा पीछा नहीं छोड़ता तो मीडिया को हम बस ये बोलना चाहता है - कुछ बात है कि हस्ती मिटता नहीं हमारा / दशकों रहा है दुश्मन ये मीडिया हमारा।

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