HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

जीने का हिसाब लाया है [ग़ज़ल] - गुमनाम पिथौरागढ़ी

Ishq-Faiz
जीने का हिसाब लाया है
हाथो में नकाब लाया है

साइन कर दो अब तो नेता जी
कॉन्ट्रेक्टर कबाब लाया है

रचनाकार परिचय:-



नवीन विश्वकर्मा (गुमनाम पिथौरागढ़ी)
पण्डे मौलवी फसादी हैं
घरबारी गुलाब लाया है

अस्मत बेच डाली बेटी की
अब घर में शराब लाया है

चैन आराम लूटने देखो
बेगैरत कसाब लाया है

तुम 'गुमनाम' तीरगी छोडो
सूरज ये जवाब लाया है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...