ये रिश्ते और ये शादी सभी केवल बहाना ....है ,
मुहब्बत वो तराना है जो सबको गुनगुनाना है |
मुहब्बत वो तराना है जो सबको गुनगुनाना है |
अनन्त आलोक
साहित्यलोक , बायरी , ददाहू , सिमौर
हिमाचल प्रदेश 173022 Mob: 09418740772
Email: anantalok1@gmail.com
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चला है कौन सा नम्बर तुम्हारी आइडी है क्या ,
मुझे इतना बता देना तुम्हारा क्या ठिकाना ..है |
रहो तुम दूर ही बेशक मगर नेट पर बनी रहना ,
इसी पर बात करनी है इसी पर रूठ जाना... है |
हमारी याद आये तो फकत नेट पर चली आना ,
न मम्मी को खबर होगी न डेडी को बताना ...है |
यहीं दिल मिलन होता यहीं दिल टूट कर बिखरे ,
न कोई जान पाता है समय कितना सयाना.. है |
हुआ आलोक आशिक ये सभी से इश्क फरमाए ,
यही दौलत कमाई है गले सब को लगाना ....है |
6 टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंअच्छी रचना आलोक जी ...बधाई ....!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना आलोक जी ...बधाई ....!
जवाब देंहटाएंदिली शुक्रिया भाई मनोज जी
हटाएंआजकल यहीं हो रहा हैं ...अच्छी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
अच्छी ग़ज़ल बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.