आँख से टपकता हर आँसू लहू का क़तरा नहीं होता

नाम- डॉ० राजीव जोशी
जन्म- १७ सितम्बर १९७७
माता- स्व० श्रीमती लक्ष्मी देवी
पिता- श्री खीमानन्द जोशी
ग्राम- भयेड़ी, पो०- क्वैराली, जनपद-बागेश्वर(उत्तराखंड)
शिक्षा- एम०एस०सी०(भौतिकी),एम०ए०(हिंदी, शिक्षा-शास्त्र)
बी०एड०,एल०एल-बी०,आइ०जी०डी०-बॉम्बे,पी-
एच०डी०(हिंदी), यू०जी०सी०नेट.
लेखन- हिमांशु जोशी: रूप एक रंग अनेक, विभिन्न राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं, समाचार पत्रों तथा ऑनलाइन जनरल्स(पत्रिकाओं) में कविताएं, लेख एवं शोध-पत्र प्रकाशित, कहानी लेखन.
शोध/आलेख- हिमांशु जोशी:कृतित्व के नए आयाम(हिमांशु जोशी के व्यक्तित्व एवं सम्पूर्ण कृतित्व तथा पत्रकारिता का शास्त्रीय अध्ययन), मध्य हिमालयी पहाड़ी की भाषिक संरचना, हिमांशु जोशी का बाल साहित्य, हिंदी वर्तनी की समस्याएं, देवसिंह पोखरिया का काव्य सौष्ठव, पत्रकारिता एवं हिमांशु जोशी, समकालीन कहानियों में व्यंग्य.
संप्रति- राजकीय इंटरकॉलेज हड़बाड़, जनपद-बागेश्वर, उत्तराखंड में भौंतिक विज्ञान प्रवक्ता पद पर कार्यरत.
ई-मेल rajeevbageshwar@gmail.com
फोन न०- ९६३९४७३४९१, ९४१२३१३७१७
जन्म- १७ सितम्बर १९७७
माता- स्व० श्रीमती लक्ष्मी देवी
पिता- श्री खीमानन्द जोशी
ग्राम- भयेड़ी, पो०- क्वैराली, जनपद-बागेश्वर(उत्तराखंड)
शिक्षा- एम०एस०सी०(भौतिकी),एम०ए०(हिंदी, शिक्षा-शास्त्र)
बी०एड०,एल०एल-बी०,आइ०जी०डी०-बॉम्बे,पी-
एच०डी०(हिंदी), यू०जी०सी०नेट.
लेखन- हिमांशु जोशी: रूप एक रंग अनेक, विभिन्न राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं, समाचार पत्रों तथा ऑनलाइन जनरल्स(पत्रिकाओं) में कविताएं, लेख एवं शोध-पत्र प्रकाशित, कहानी लेखन.
शोध/आलेख- हिमांशु जोशी:कृतित्व के नए आयाम(हिमांशु जोशी के व्यक्तित्व एवं सम्पूर्ण कृतित्व तथा पत्रकारिता का शास्त्रीय अध्ययन), मध्य हिमालयी पहाड़ी की भाषिक संरचना, हिमांशु जोशी का बाल साहित्य, हिंदी वर्तनी की समस्याएं, देवसिंह पोखरिया का काव्य सौष्ठव, पत्रकारिता एवं हिमांशु जोशी, समकालीन कहानियों में व्यंग्य.
संप्रति- राजकीय इंटरकॉलेज हड़बाड़, जनपद-बागेश्वर, उत्तराखंड में भौंतिक विज्ञान प्रवक्ता पद पर कार्यरत.
ई-मेल rajeevbageshwar@gmail.com
फोन न०- ९६३९४७३४९१, ९४१२३१३७१७
लाल रंग हमेशा खतरा नहीं होता
तिरे होठों से टपकता नूर मेरी ज़िन्दगी है मगर
ज़िन्दगी हमेशा फूलों का बिस्तरा नहीं होता ||1||
खुशियों का पल पलट कर जरूर आएगा देखना
सफर हमेशा मुश्किल भरा नहीं होता
माना कि खूबसूरत गीत है ये जिंदगी
हर गीत में मगर अंतरा नहीं होता ||2||
मैं जहाँ भी जाता हूँ जो भी देखता हूँ उसी में खो जाता हूँ
चाहत को मेरी उसका बेगानापन गवारा नहीं होता
मेरी हर चाल पर ज़माने को शक होता है मगर
हर घुमक्कड़ यहाँ आवारा नहीं होता ||3||
नोक-झोक,गिले-शिकवे प्यार को उम्र देते हैं
खाक़ मज़ा है उस पान में, जिसमे ज़र्दा नहीं होता
तसल्ली इन आँखों को तब तक नहीं मिलती क्या करूँ
जब तलक हुस्न बे-पर्दा नहीं होता ||4||
12 टिप्पणियाँ
आँख से टपकता हर आंसू लहू का कतरा नहीं होता....
जवाब देंहटाएंआभार अभिनन्दन
हटाएंमजा आ गया...
जवाब देंहटाएंरगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही ऐ न टपका तो लहू क्या है...ग़ालिब
मजा आ गया...
जवाब देंहटाएंरगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही ऐ न टपका तो लहू क्या है...ग़ालिब
स्नेहिल एवं उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए अपका बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंअच्छी कविता बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंस्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हटाएंअच्छी कविता बधाई
जवाब देंहटाएंस्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंप्रणाम सर
हटाएंस्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.