ना जाने कितनी बार देखी
आधी रातें पूरा चाँद
आधी रातें पूरा चाँद
नाम -- अनुराग सिंह "ऋषी"
व्यवसाय -- शोध छात्र (Plant Pathology)
जन्म -- 12 अगस्त 1990
पता -- लखनऊ उ,प्र.
वर्तमान -- इलाहाबाद (छात्रावास)
रूचि -- कविताएँ,गज़लें लिखना, शोध करना
प्रकाशित रचनाएँ -- ज़िक्र , रोता रहा हूँ मै ( नव्या हिंदी साहित्य )
इमेल -- anu.007om@gmail.com
मोबाईल न. -- 09839109276
व्यवसाय -- शोध छात्र (Plant Pathology)
जन्म -- 12 अगस्त 1990
पता -- लखनऊ उ,प्र.
वर्तमान -- इलाहाबाद (छात्रावास)
रूचि -- कविताएँ,गज़लें लिखना, शोध करना
प्रकाशित रचनाएँ -- ज़िक्र , रोता रहा हूँ मै ( नव्या हिंदी साहित्य )
इमेल -- anu.007om@gmail.com
मोबाईल न. -- 09839109276
पर जी नही भरता इन
नशीली और मदहोश रातों से
पलकों पे कुछ चिरपरिचित दृश्य घुमते ही रहे है
जब तक आ कर ले न ले
नींद अपने आगोश में मुझे,
कहीं दूर किसी कोने से आती
झींगुरों की आवाजे
और बरसात के आने का ऐलान करती
मेढकों की बादल राग
के बीच में तुम्हारा धुंधला सा चेहरा
बनाने कि नाकाम कोशिश में
जुटे काले बादल जो ढँक लेते है
रह रह के चाँद को.
और खेलते है बाहर आने को
मचलते चाँद से
जो खेलता है लुका छिपी चांदनी से
ठीक वैसे जैसे तुम्हारा चेहरा
खेलता है मुझसे बादलों के बीच
और बीत जाती है एक और
सुहानी रात इसी खेल में
विदा लेता है चाँद
फिर आने का वादा कर के
और न चाहते हुए भी
वापस आना पड़ता है
इस नकली संसार में
जो शायद न मेरा है
और न उसी का.................................
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